एक वर्ष की बालिका समेत छ: बालकों को परिवार में बाल कल्याण समिति द्वारा पूर्वासित किया गया
राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। किशोर न्याय अधिनियम के तहत देखरेख व संरक्षण, उपेक्षित, गुमशुदा, पलायन कर्ता तथा पालना गृह से प्राप्त बालकों जिसमें जीरो से छ: वर्ष को शिशु गृह में, छ: से अठारह वर्ष के बालक को किशोर गृह में व बालिका को बालिका गृह में संस्थागत आश्रय का प्रवधान है। इस अधिनियम के तहत गठित जिला स्तर पर बाल कल्याण समिति के द्वारा बालकों को आश्रय प्रदान किया जाता है, उन्हें संस्थागत आश्रय से परिवार में पूर्वासित किये जाने का कार्य किया जाता है।
बुधवार को बाल कल्याण समिति की बैठक में अध्यक्ष कोमल पालीवाल, सदस्य बहादुर सिंह चारण, सीमा डागलिया, रेखा गुर्जर व हरजेंद्र सिंह चौधरी, शिशु गृह के कॉर्डिनेटर प्रकाश चन्द्र सालवी, आया रोशनी रेगर सुगना छिपा सीता सालवी व बक्शी उपस्थित रहे। बैठक में आये प्रकरण में बाल कल्याण समिति के द्वारा बालकों के परिजनों को बुला कर वार्ता की गई, सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बाल श्रम पर रोक लगाने, शिक्षा दिलाने, बाल विवाह रोक व फोलोअप में उपस्थिति के निर्देश के साथ पाबन्द करते हुए बालकों को उनके परिजनों को सुपुर्द किया गया।
एक ही परिवार के 4 बालकों को जिसमें माता पिता की मृत्यु होजा ने पर दादी व अंकल को, व एक प्रकरण में माता पिता को सुपुर्द किया गया। इसी प्रकार करीब एक वर्ष से शिशु गृह में आवसरत नन्हें शिशु को उसके नाना नानी को सुपुर्द किया गया। विदित रहे शिशु गृह में शिशु के नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच, भोजन, दूध, टीकाकरण किया जाता है। अध्यक्ष पालीवाल ने बताया कि शिशु गृह में पालना से या वेब पोर्टल कारा के माध्यम से एडॉप्शन की कार्यवाही से गोद लिया जा सकता है।