कोरोना के प्रतिबंध हटने से श्रीनाथजी के दर्शन करने, होली देखने तथा धूरेंडी खेलने उमड़े वैष्णव तथा स्थानीय निवासी
प्रसिद्ध बादशाह की सवारी निकली, खूब दी गयी गालियां
नाथद्वारा (दिव्य शंखनाद)। प्रभु श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा में होली उत्सव उत्साह उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। यह उल्लेखनीय है कि नाथद्वारा की होली, डोल, धूरेन्डी तथा बादशाह की सवारी बड़े अनोखे और शानदार अंदाज में मनायी जाती है। इसमें ब्रज संस्कृति की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
मार्च 18 को प्रात: चार बजे के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन विधि विधान से किया गया। हालाकिं प्रभु श्रीनाथजी को होली का श्रृंगार 17 मार्च को धराया गया था। होलिका दहन के साथ में नगर में धूलिवंदन अर्थात धूरेन्डी की धमाल भी प्रारंभ हो गयी। इस दौरान प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन निरंतर होते रहे क्योंकि डोलोत्सव होने से श्रीनाथजी के चार राजभोग होते हैं।
तत्पश्चात सांयकाल लगभग 7 बजे गुर्जरपुरा मोहल्ले से प्रसिद्ध बादशाह की सवारी निकाली गयी। जिसके तहत बादशाह ने श्रीनाथजी मंदिर पहूंच कर प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर में स्थित सूरज पोल की सीढिय़ों को अपनी दाढ़ी से साफ किया।
समग्र दिवस के दौरान स्थानीय निवासियों तथा वैष्णवों में काफी उत्साह देखा गया। इसके पीछे कारण यह था कि पिछले दो वर्षों वैश्विक महामारी कोरोना के प्रतिबंधों के चलते यह उत्सव सीमित रूप से मनाये गये जिनमें केवल परंपराओं का निर्वहन किया गया था। इन दो वर्षों के बाद इस बार किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होने से जहां बड़ी संख्या में देश भर से वैष्णव आए और स्थानीय निवासी भी बाहर निकल पाए।
विशेषकर दिनभर धूरेन्डी मनाने के दौरान देखा गया कि स्थानीय निवासियों की संख्या कम थी और बाहर से आये वैष्णवों की संख्या काफी अधिक थी। अधिकांश वैष्णव परिवार सहित आए थे और उनके साथ महिलाएं, युवतियां और बालक, बालिकाएं भी थी जिन्होंने यहां सूखे रंगों से पारंपरिक गालियों का श्रवण करते हुए खूब आनन्द उठाया। उनसे चर्चा के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ के नगर के चरित्र के अनुसार अमर्यादित आचरण नहीं होने से उनको काफी सुरक्षा का अहसास यहां होता है।
वहीं कई युवाओं के समुहों ने विविध स्थलों पर जाकर भी होली मनाई और परिवार के साथ आनन्द लिया। इसके साथ ही सप्ताहांत होने से नगर में वैष्णवों की अच्छी खासी चहल पहल के चलते इन दिनों बाजारों में रौनक दिख रही है। कुल मिलाकर होली उत्सव शांति पूर्वक संपन्न होने से प्रशासन तथा पुलिस ने भी राहत की सांस ली। हालांकि पुलिस प्रशासन से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे परंतु कहीं भी उनको हस्तक्षेप नहीं करना पड़ा था।
स्थानीय व्यापारियों का कहना था है कि इस बार बाजार में व्यापार भी हुआ है। विशेष कर होटलों, रेस्टोरेंटों, ज्वैलरी, मुकुट श्रृंगार, ट्रावेलिंग, भोजनालयों सहित श्रीजी मंदिर में भी आवक अच्छी होने की जानकारी मिली है। हर कोई यह कह रहा है कोरोना के बाद अब जीवन ने अपनी सामान्य रफ्तार पकड़ ली है। यदि थोड़े समय ऐसा ही चलता रहा तो निश्चित ही कोरोना काल के नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी। इसके लिए सभी प्रभु श्रीनाथजी का आभार प्रकट कर रहे है।