व्रज – चैत्र कृष्ण नवमी, शनिवार, 26 मार्च 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है, जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: श्रीजी को आज बैंगनी ज़री की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र: श्रीजी को आज बैंगनी ज़री पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं। पटका मलमल का धराया जाता हैं, ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर बैंगनी रंग के ग्वाल पगा पर सिरपैंच, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में चाँदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट बेंगनी व गोटी बाघ-बकरी की आती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर पगा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: चकई री चल चरण सरोवर
- राजभोग: बैठे कुञ्ज स्थली लालन
- आरती: टेढ़ी री आली टेढ़ी अलक लर
- शयन: अरी हों तो या मग निकसी
- मान: मनावन आये मनावन न जान्यो
- पोढवे: पोढ़ीये लाल लाडली संग
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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