व्रज – चैत्र कृष्ण दशमी, रविवार, 27 मार्च 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है, जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में शरबती ज़री की पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र: आज श्रीजी को शरबती ज़री का, रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली तथा घेरदार वागा धराये जाते हैं, ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर शरबती रंग की जरी की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा, चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट शरबती एवं गोटी मीना की आती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर पगा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला : नैन उनींदे आये
- राजभोग : कुंवर बैठे प्यारी के संग
- आरती : मैया याते भई अवेर
- शयन : मिले पिय सांकरी गली
- मान : मान तज भामिनी
- पोढवे: पोढ़ीये लाल लाडली संग
- पोढवे : दम्पति पोढ़ रस बतियाँ करत
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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