व्रज – चैत्र कृष्ण त्रयोदशी, बुधवार, 30 मार्च 2022
आज का श्रृंगार नियम का है
- आज नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है। प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है
- अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी के दिनों में मुकुट नहीं धराया जाता इस कारण देव-प्रबोधिनी से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (श्रीजी का पाटोत्सव) तक एवं अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक मुकुट नहीं धराया जाता
- जब भी मुकुट धराया जाता है, वस्त्र में काछनी धरायी जाती है।
- काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भाव है, जब मुकुट धराया जाये तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत रंग के होते हैं, ये श्वेत वस्त्र चांदनी छटा के भाव से धराये जाते हैं
- जिस दिन मुकुट धराया जाये उस दिन विशेष रूप से भोग-आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी जाती है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में श्री यमुना जी एवं प्रभु की सेवा में पधारती गोपियों के चित्रांकन की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र: श्रीजी को आज पचरंगी ज़री का सूथन, काछनी, रास-पटका एवं मेघश्याम दरियाई की चोली धराये जाते हैं
- सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं
- ठाड़े वस्त्र सफेद लट्ठा के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- श्रीजी को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर डाँख की मुकुट टोपी के ऊपर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं
- बायीं ओर मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है
- श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ हीरा धराई जाती है
- पट लाल व गोटी नाचते मोर की आती है
- आरसी उत्सववत वाली दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण, मुकुट, टोपी, पीताम्बर, चोली व दोनों काछनी बड़े किये जाते हैं
- शयन दर्शन में मेघश्याम चाकदार वागा व लाल तनी धरायी जाती है, श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सुनहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं, आभरण छेड़ान के (छोटे) धराये जाते हैं
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला : आज खरेई बिचल
- राजभोग : बैठे कुञ्ज स्थली लालन
- आरती : हरि को बदन सरोज
- शयन : पहर री माल सुगंध गुलाब
- मान : आज सुहावनी रात लालन आए
- पोढवे: प्रेम के परियंक पोढ़े
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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