व्रज – चैत्र कृष्ण चतुर्दशी, गुरुवार, 31 मार्च 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है, जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में लाल ज़री की पिछवाई धरायी जाती है जिसमें सुनहरी ज़री से पुष्प-लताओं का ज़रदोज़ी का भरतकाम किया है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र: आज श्रीजी को लाल ज़री रंग की ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं। सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते है, हरे रंग के ठाडे वस्त्र धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- आज प्रभु को मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर फेंटा का साज धराया जाता है, लाल ज़री के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरशिखा, दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में लोलकबिंदी (लड़वाले कर्णफूल) धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट लाल एवं गोटी चाँदी की बाघ बकरी वाली आती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर फेंटा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: आज खरेई बिचल
- राजभोग: ऐ री यहाँ श्री वृन्दावन रंग
- आरती: बसों मेरे नेनन में
- शयन: जिय की न जानत हो पिय
- मान: कहत कहत सब रैन गयी
- पोढवे: कुञ्ज में रसिक पिय प्यारी
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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