गुर्जर आंदोलन के लीडर, जिनके एक इशारे पर पूरा राजस्थान रुक जाता था
राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के मुख्य नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन आज 31 मार्च, 2022 को प्रात: अपने निवास स्थान पर हो गया।
वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर के मणिपाल अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। राजस्थान में बैंसला को गुर्जरों की अधिकारों की लड़ाई में अगुवा के रूप में जाना जाता है, उनके एक इशारे पर सर्व समाज एकजुट हो जाता था बैंसला की ताकत इतनी थी कि उनके एक इशारे पर पूरा राजस्थान रुक जाता था।
‘जिब्राल्टर का चट्टान’ और साथी कमांडो ‘इंडियन रेम्बो’ कह कर बुलाते थे
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ। गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोडी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ था। उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया और सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए।
बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया। किरोड़ी सिंह बैंसला एक पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे।उन्हें दो उपनामों से भी उनके साथी जानते थे। सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ साथी कमांडो ‘इंडियन रेम्बो’ कह कर बुलाते थे।
वो उनकी जाबांजी ही थी कि सेना में सिपाही के तौर पर भी तरक्की पाते हुए वह कर्नल की रैंक तक पहुंचे। सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी राजस्थान लौट आए गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की। आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया। आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे।
उनका कहना है कि राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है इससे उन्हें सरकारी नौकरी में खासा प्रतिनिधित्व मिला लेकिन गुर्जरों के साथ ऐसा नहीं हुआ। गुर्जरों को भी उनका हक मिलना चाहिए।