व्रज – चैत्र कृष्ण अमावस्या, शुक्रवार, 01 अप्रैल 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है, जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में स्याम रंग ज़री की पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र: आज श्रीजी को स्याम ज़री रंग की ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं। सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते है, गुलाबी रंग के ठाडे वस्त्र धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर मेघस्याम ज़री की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, बांकी (तिरछी) गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट मेघस्याम व गोटी चाँदी की आती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: श्याम सुन्दर भोर भवन आगे व्हे
- राजभोग: नवल घनश्याम सखी नवल बनी
- आरती: गोवर्धन गिर चढ़ टेरी
- शयन: प्यारी सांवरी सूरत
- मान: कर मनुहार आये मुरार
- पोढवे: मदन मोहन श्याम
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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