व्रज – चैत्र शुक्ल सप्तमी, शुक्रवार, 08 अप्रैल 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है, जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में स्याम चूंदड़ी की सुनहरी किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- आज श्रीजी को श्याम चूंदड़ी का सूथन, चोली एवं खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर स्याम चूंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट मेघस्याम व गोटी चाँदी की आती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: ऐसी कोन नागरी जिन कुञ्ज में बसाय हो
- राजभोग: कुञ्ज महल प्यारी के संग
- आरती: अति हठ न कीजे प्यारी
- शयन: मिले पिय सांकरी गली, विधाता विध न जानी
- मान: आज निकी बनी राधिका नागरी
- पोढवे: पोढ़े हरि राधिका के गेह
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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