व्रज – चैत्र शुक्ल अष्टमी, शनिवार, 09 अप्रैल 2022
आज का श्रृंगार नियम का श्रृंगार है
- कल रामनवमी है और आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला आगम का हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- अधिकतर बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है
- यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में लाल रंग सुनहरी लप्पा की, सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- आज प्रभु को लाल रंग के सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. उर्ध्व भुजा की ओर कटि-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना एवं सोने के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- आज चार माला धरावे
- श्रीकर्ण में मिलवा कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट लाल, गोटी छोटी सोने की आती है
- आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराया जाता है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: गोकुल की पनिहारी पनिया भरन चली
- राजभोग: आज की बानिक कही ना जाय
- आरती: सुन मुरली की टेर
- शयन: अरी हों तो या मग निकसी आय
- मान: मान नी मान मेरो
- पोढवे: पोढ़े हरि राधिका के गेह
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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