व्रज – चैत्र शुक्ल दशमी, सोमवार, 11 अप्रैल 2022
आज का श्रृंगार नियम का श्रृंगार है
- आज रामनवमी के परचारगी श्रृंगार है. यह सर्व विदित है कि श्रीजी में अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन बाद परचारगी श्रृंगार होता है
- यदि उपस्थित हों तो परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज श्री विशाल बावा होते हैं
- आज दिन में दो समय की आरती थाली में की जाती है. गेंद, चौगान, दिवाला आदि सोने के आते हैं
- रामनवमी के अगले दिन आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई आती है. यही पिछवाई श्रीजी में विजयादशमी के एक दिन पूर्व महा-नवमी के दिन भी धरायी जाती है
- आज पिछवाई के अलावा सभी वस्त्र एवं श्रृंगार पिछली कल की भांति ही होते हैं. इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं. आज भोग में सब नित्य क्रम ही रहता है
- राजभोग में पीठिका पर पुष्पों का चौखटा धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- आज श्रीजी को कल की भांति केसरी जामदानी के सूथन, चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र श्वेत जामदानी के धराये जाते हैं
- आज पटका नहीं धराया जाता हैं
- श्रृंगार:
- आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा की प्रधानता के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- नीचे पदक, ऊपर माला, दुलड़ा व हार उत्सववत धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मिलवा कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर केसरी जामदानी की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चंद्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर हीरा एवं माणक के शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में उत्सव के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं
- उत्सव की हीरा की चोटी धरायी जाती है
- आज त्रवल के स्थान पर टोडर धराया जाता है
- श्रीकंठ में कली, कस्तूरी आदि की माला आती हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरे के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- पीठिका पर पुष्पों का चौखटा धराया जाता है
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट उत्सव का एवं गोटी जड़ाऊ आती है
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की व राजभोग में सोना की डांडी की आती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: सुन सुत एक कथा
- राजभोग: बल बल आज की बानकी लाल
- आरती: राखी को अलक बीच बीच
- शयन: ऐ मोपे आज की बानक
- मान: मान नी मान मेरो
- पोढवे: राय गिरधरन संग राधिका रानी
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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