राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। भारतीय संस्कृति में पशु पक्षियों के प्रति भी दया और करुणा के भाव रखना चाहिए यह उपदेश दिया जाता है।
जब यह उपदेश हमारे जीवन में अवतरित होना प्रारंभ हो जाता है, तब भारतीय संस्कृति है वह अपने आप ही उजागर होने प्रारंभ हो जाती है।
उपरोक्त विचार निशक्तजन आयोग के राज्य आयुक्त उमा शंकर शर्मा ने गोमती के पास सम्बोधि उपवन में राजसमन्द संबोधित पार्श्वनाथ तीर्थ के प्रांगण में 24 पक्षियों के लिए परिंदों का निर्माण उद्घाटन करते हुए अपने विचार व्यक्त करते हुए कही।
इस अवसर पर जैन मुनि भूपेंद्र कुमार ने अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा जब भारतीय संस्कृति उजागर होने प्रारंभ होती है तब हर भारतीय का मन है वह अपने आप ही प्रफुल्लित होना प्रारंभ हो जाता है।
भारतीय संस्कृति में छोटे से छोटे प्राणी को बहुत बड़ा अधिकार दिया है जीने का अधिकार है व सब को ही होता है आज संबोधि पाश्र्वनाथ तीर्थ के ट्रस्टी यों ने जो एक महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ किया है। वह भारतीय संस्कृति को और ज्यादा उजागर करने वाला बनेगा
संबोधी तीर्थ के प्रांगण में पधारने पर संबोधी तीर्थ के व्यवस्थापक फारुख भाई ने व पंडित शंकर लाल ने अतिथियों का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन किया। इस अवसर पर इस अवसर पर पारस शर्मा आदि अनेकों व्यक्ति उपस्थित थे ।