व्रज : वैशाख शुक्ल चतुर्थी, गुरुवार, 05 मई 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- सकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज बादली मलमल की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- वस्त्र श्रीजी को आज बादली मलमल के धराये जाते है.
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज बादली मलमल का सुनहरी किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का उष्णकाल का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोतियों के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर बादली रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते है
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, सुवावाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- खेल के साज में आज पट मोती और गोटी उष्णकाल वाले पधराये जाते है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: ललन पिया रस भरे
- राजभोग: अक्षय तृतीय गिरधर बैठे
- आरती: आवत गिरधरलाल त्रिमंगी
- शयन: पायन चन्दन लगाऊं
- मान : मनावन आये मनाव न जान्यो
- पोढवे: पोढ़ीये पिय कुंवर
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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