व्रज : वैशाख शुक्ल पंचमी, शुक्रवार, 06 मई 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- सकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
- मल्लकाछ (मल्ल एवं कच्छ) दो शब्दों से बना है और ये एक विशेष पहनावा है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. सामान्यतया वीर-रस का यह श्रृंगार पराक्रमी प्रभु की चंचलता प्रदर्शित करने की भावना से धराया जाता है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- आज श्रीजी में माखनचोरी लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है जिसमें कृष्ण-बलराम अपने मित्रों के साथ मल्लकाछ-टिपारा का श्रृंगार धराये माखन चोरी कर रहे हैं
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज सुवापंखी मलमल रंग का रुपहली ज़री की किनारी वाला मल्लकाछ एवं पटका धराया जाता है. इसी प्रकार सुवापंखी रंग का रुपहली ज़री की किनारी वाला पटका भी धराया जाता है. इस श्रृंगार को मल्लकाछ-टिपारा एवं दोहरा पटका का श्रृंगार कहा जाता है. धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र केसरी डोरिया के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को श्रीकंठ का श्रृंगार छेड़ान (हल्का) बाक़ी मध्य का (घुटने तक) ऊष्णक़ालीन श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोतियों के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर बादली रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते है
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, सुवावाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बाघ-बकरी के पधराये जाते है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: ललन पिया रस भरे
- राजभोग: अक्षय तृतीय गिरधर बैठे, निर्तत मोहन रसिक सखन संगे
- आरती: आवत मदन गोपाल त्रिभंगी
- शयन: मेरे री बगर में आवत श्याम
- मान : मनावन आये मनाव न जान्यो
- पोढवे: पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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