व्रज : वैशाख शुक्ल छठ, शनिवार, 07 मई 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार आज ठाकुरजी अपनी अनन्य मुस्लिम भक्त ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताज़बीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था
- ताज़बीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के अन्य पांच दिन निश्चित नहीं हैं
- ताज़बीबी बादशाह अकबर की बेग़म, प्रभु की भक्त और श्री गुसांई जी की परम-भगवदीय सेवक थी. उन्होंने कई कीर्तनों की रचना भी की है और उनके सेव्य स्वरुप श्री ललितत्रिभंगी जी वर्तमान में गुजरात के पोरबंदर में श्री रणछोड़जी की हवेली में विराजित हैं
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज फिरोज़ी धोरा के रंग की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज चन्दनी धोरा के रंग की मलमल का धोरे (थोड़े-थोड़े अंतर से किनारी के धोरे) वाला सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के मलमल होते हैं
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छेडान (घुटने तक) का उष्णकालीन छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोतियों के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर चन्दनी धोरा के रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में लोलकबिन्दी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीकर्ण में लोलकबिन्दी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बाघ-बकरी की पधरायी जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: आम बेचन आयी मैया कोऊ
- राजभोग: बन्यो है वामना चन्दन को वागो
- आरती: अहो कान्ह गैया कित बिडरानी
- शयन: आज को दिन धन धन री माई
- पोढवे: चांपत चरण मोहन लाल
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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