व्रज : वैशाख शुक्ल द्वादशी, शुक्रवार, 13 मई 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज शरबती रंग की मलमल की पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज शरबती रंग की मलमल के धोती एवं पटका धराये जाते है. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं
- ठाड़े वस्त्र नहीं धराये जाते अतः पीठिका के दर्शन होते हैं
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन का हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- खेल के साज में आज पट ऊष्णकाल का और गोटी बड़ी हकीक पधराये जाते है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: आजब देखियत बदन
- राजभोग: आज बने नन्द नंदन री
- आरती: आवरी बावरी उजरी पाग
- शयन: कदम्ब बन बीथन करत
- मान : माननी मान मेरो कह्यो
- पोढवे: दंपत्ति पोढ़े रस बतियाँ करत
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
……………………..
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………………….