व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी, रविवार, 22 मई 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
- ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को चंदनी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज शरबती मलमल की रुपहली ज़री की किनारी के पतले हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की गयी है
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को शरबती रंग की मलमल का आड़बंद धराया जाता है.
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर शरबती छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं इसी प्रकार की एक व एक कमल माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी छोटी हक़ीक की पधरायी जाती है
श्रीजी की राग सेवा :
- मंगला : मेरे कुल कलिमल सब ही नासे
- राजभोग : बन बन में बनवारी
- आरती : सांझ समे प्यारे लाल आवत
- शयन : मिल पिय सांकरी गली
- मान : आपुन चलिए जू लालन
- पोढवे : पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- सायंकाल में कली का श्रृंगार होगा. विशेष भोग अरोगाया जाएगा