नाथद्वारा (दिव्य शंखनाद)। अध्यक्ष महोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला एवं सेशन न्यायाधीश, राजसमन्द अनंत भंडारी के निर्देशानुसार एवं आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार अध्यक्ष तालुका विधिक सेवा समिति, अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश नाथद्वारा लक्ष्मीकांत वैष्णव की अध्यक्षता में न्यायालय परिसर, में योग एवं मेडिटेशन शिविर का आयोजन किया गया।
उक्त शिविर में अध्यक्ष के अलावा अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजि. नाथद्वारा मनोज सिंघारिया, योग प्रशिक्षक देवेन्द्र सिंह चौहान, अधिवक्ता हेमांक वैष्णव, वरिष्ठ शिक्षिक दिलीप वैष्णव, वरिष्ठ शिक्षिका अनिता वैष्णव, न्यायिक कर्मचारीगण इन्द्रलाल मीणा, मनीश जोशी, विजय अग्रवाल, सत्यवीर सिंह, वैभव मिश्रा, किशोर सनाढ्य, भोमाराम भाकर, राधेश्याम गाडरी, धर्मेन्द्र लाठा, सनाढ्य, पंकज गुर्जर, अभिषेक सोनी आदि ने उपस्थित रहकर योगाभ्यास किया।
इस अवसर पर अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वैष्णव ने योग दिवस की सभी को बधाई देते हुए बताया कि योग से व्यक्ति प्रसन्न रहता है और एक प्रसन्न व्यक्ति से ही राष्ट्र का विकास होता है। इसलिए योग परम आवश्यक है। योग के द्वारा ही विचारों का परिष्कार होता है, जिससे आम व्यक्ति भी स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द सरस्वती आदि कुछ भी बन सकता है और भारत को पुनः वेदों और हमारी प्राचीन संस्कृति की ओर ले जाया जा सकता है।
अष्टांग योग की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रातःकाल जल्दी उठकर थोड़ी देर के लिए ही सही पर योग और मेडिटेशन करना चाहिए। महर्षि पतंजली रचित ‘‘योगः चित्त-वृत्ति निरोधः’’ का उदाहरण देकर बताया कि योग का अर्थ है समाधि अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। शिविर में योग प्रशिक्षक देवेन्द्र सिंह चौहान ने विभिन्न प्रकार के योगासनों का प्रशिक्षण करवाया एवं उनसे होने वाले लाभों के बारे में बताया।