व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी, सोमवार, 27 जून 2022
आज की विशेषता
आज भी श्रीजी को एक विशिष्ट श्रृंगार धराया जायेगा. इस विशिष्ट श्रृंगार को ‘पीत पिछोड़ी’ का श्रृंगार कहा जाता है. ज्येष्ठ मास में यह श्रृंगार होना निश्चित है परन्तु इसकी तिथी नियत नहीं है और आज खाली दिन होने के कारण यह श्रृंगार धराया जायेगा. इस लीला के अनुसंधान मे आज श्रृंगार दर्शन में केसरी पटका व उत्थापन दर्शन में गुलाबी पटका धराया जाता है. इस लीला का सुंदर पद ‘पीत पिछोड़ी कहाँ जु बिसारी…’ भी आज भोग दर्शन में प्रभु समक्ष गाया जाता है. इस श्रृंगार का एक सुन्दर प्रसंग है कि एक बार श्रीजी प्रभु अष्टछाप कवि श्री गोविन्दस्वामी के साथ खेल रहे थे तब मंदिर से शंखनाद की ध्वनि सुनाई दी और सुनते ही श्रीजी खेल छोड़कर दौड़े और प्रभु का पटका पेड़ मे अटक के फट गया. जब श्री गुंसाईजी ने यह देखा तब आपश्रीने आज्ञा करी कि अब से प्रतिदिन शंखनाद करने के बाद थोड़ी देर ठहर कर ही दर्शन खोलने जिस से प्रभु को श्रम न हो.
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- आज श्रीजी में श्री गिरिराज जी की कन्दरा में विराजित श्री गुसांईजी के पुत्रों के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है, इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है,
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकल का और गोटी हकीक की पधरायी जाती है
- वस्त्र:
- आज श्रीजी को सफ़ेद रंग की मलमल की बिना किनारी की धोती एवं केसरी (चंदनिया) रंग का राजशाही पटका धराया जाता है.
- राजशाही पटका रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होता है.
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- इसी प्रकार श्वेत पुष्पों और तुलसी की दो मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: जै जै श्री सूरजा कालिंद नंदनी
- राजभोग: जमुना तट नव निकुंज
- भोग : पीत पिछोड़ी कहाँ जु बिसारी
- आरती: ऐरी अबला तेरे बल हीन
- शयन: आवरी बावरी ऊजरी पाग
- मान: उठ चल वेग राधिका प्यारी
- पोढवे: दम्पति पोढे रस बातियाँ करत
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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