नई दिल्ली। अस्पतालों में बेड न मिले तो क्या करें? और इससे पहले अहम सवाल ये है कि क्या सभी मरीजों को अस्पताल ले जाने की जरूरत है? क्या घर पर कोविड मरीजों का इलाज नहीं हो सकता है?
आर्मी से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और जाने-माने रूमेंटोलॉजिस्ट डाॅ वेद चतुर्वेदी फिलहाल सर गंगाराम अस्पताल में सीनियर डॉक्टर हैं. उन्होंने इन सवालों को लेकर एक वीडियाे संदेश जारी किया है, जो लोगों के लिए काफी उपयोगी है. खासकर माइल्ड और मॉडरेट कोविड पेशेंट के लिए डॉक्टर चतुर्वेदी की सलाह फायदेमंद बताई जा रही है. डॉ चतुर्वेदी ने ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने को गैर जरूरी बताया है. उनके मुताबिक पैनिक क्रिएट नहीं करना चाहिए. कोरोना के गंभीर मरीजों को छोड़कर ज्यादातर मरीज हल्के और मध्यम लक्षणों वाले होते हैं. ऐसे मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिलने पर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसे मरीजों को डॉ चतुर्वेदी होम हॉस्पिटलाइजेशन की सलाह देते हैं.
शुरुआती दौर में 3 बातें ध्यान रखें
- यदि आपको माइल्ड सिम्प्टम्स हैं यानी बेहद हल्के लक्षण हैं, तो चिंता की बात नहीं है. घर में ही रहिए.
- ऑक्सीजन लेवल जांचते रहने के लिए आपको बस ऑक्सीमीटर पास रखना है.
- यदि आपका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 94 या उससे ऊपर है, तो भी आपको बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है.
94 से नीचे चला जाए ऑक्सीजन लेवल तो?
अगर आपका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल इससे नीचे जाता है तो थोड़ी चिंता की जरूरत है. आपको करना ये है कि पेट के बल लेट जाएं. नॉर्मली हम पीठ के बल लेटते हैं, लेकिन आपको उल्टा करना है. इसे प्रॉन पोजीशन बोलते हैं. सिर के नीचे एक तकिया, एक तकिया पेट के नीचे और एक तकिया पैर के नीचे रखना है. जब आप पेट के बल लेटते हैं तो आपका लंग्स यानी फेफड़ा एक्सपैंड हो जाता है. ऐसे 2-2 घंटे लेटिए और ऐसा दिन में 2 से 3 बार कीजिए तो आपका ऑक्सीजन लेवल बढ़ जाएगा.
अगर फिर भी न बढ़े ऑक्सीजन लेवल तो?
इतना करने के बावजूद अगर मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल न बढ़े तो आपको अपने घर पर पहले से ऑक्सीजन सिलेंडर रखनी है या फिर ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर. दोनों में बड़ा अंतर है. ऑक्सीजन सिलेंडर में आपको बार-बार गैस भरवानी पड़ती है, जबकि कॉन्सेंट्रेटर हवा से ही ऑक्सीजन क्रिएट करता है. हालांकि यह थोड़ा महंगा पड़ता है.
समझ लीजिए आपने इतना कुछ कर लिया… फिर भी सुधार नहीं होता है तो नजदीकी डायग्नोस्टिक सेंटर जाकर सीटी स्कैन करवा लीजिए. अगर माइल्ड कोविड आता है तो ये सब चीजें जारी रखिए. ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. घर पर ही आप ठीक हो जाएंगे.
घर पर ठीक नहीं हो पा रहे हों तो क्या करें?
अगर सीटी स्कैन में आपको मॉडरेट कोविड आता है तो आप अपने लोकैलिटी में एक डॉक्टर से टच में रहिए. इसे हम टेलीमेडिसिन भी कह सकते हैं. ये डॉक्टर आपकी मॉनिटरिंग करेंगे. रेग्यूलर दवाओं के अलावा आपको एक दवा दी जा सकती है, जो ऑक्सीजन बढ़ाने में रेमडेसिविर से भी ज्यादा कारगर हो सकती है.
इतने के बावजूद अगर आपकी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा और आपका डॉक्टर आपसे कहता है कि आपको हॉस्पिटलाइज्ड होने की जरूरत है, तो आप जरूर जाएं. लेकिन बहुत घबराने की जरूरत नहीं है. अस्पताल में रेग्यूलर दवाओं के अलावा रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जा सकता है. ऑक्सीजन लेवल बढ़ने के साथ सुधार होगा तो आप कुछ दिनों में स्वस्थ होकर घर पर होंगे. हालांकि यह बहुत बाद की स्थिति है, जब मरीज में गंभीर कोविड हो तो. उससे पहले आपको अस्पताल में बेड के लिए घबराना नहीं है.
डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या है सूचनाओं का अभाव. कई अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन उपलब्ध हों भी तो मरीजों को प्रोवाइड कराना चुनौती है. दिल्ली में एम्स, सर गंगाराम जैसे 5-6 अस्पतालों के अलावा 100-150 अस्पतालों के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है.
1971 की जंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की हार के पीछे सूचनाओं का अभाव बड़ा कारण था. इससे पैनिक सिचुएशन क्रिएट हुआ और पाक सेना ने सरेंडर कर दिया. उन्होंने कहा, कोरोना महामारी भी एक जंग की तरह है. इसमें 0.6 परसेंट क्रिटेकिलिटी है, बेड और ऑक्सीजन प्रोवाइड कर उसे कंट्रोल कर लिया जाए तो कोई दिक्कत ही नहीं होगी. नहीं हो सकता क्या?