व्रज – आषाढ़ शुक्ल द्वादशी, सोमवार, 11 जुलाई 2022
आज ऋतू के आखिरी आड़बंद के श्रृंगार
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज श्वेत मलमल के वस्त्र की बिना किनारी वाली पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है, इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है,
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को श्वेत रंग का मलमल का आड़बंद धराया जाता है. यह आड़बंद इस ऋतू में आज आखिरी बार धराया जाता है
- यह आड़बंद भी बिना किनारी का होता है
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की ऊपर छोर व नीचे लटकन वाली गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, श्वेत खंडेला (श्वेत मोरपंख का दोहरा कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- वहीं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर माला हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी वाले वेणुजी एवं कटि पर एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला : ऐसी ऋतू सदा सर्वदा
- राजभोग : आयोरी पावस दल साज गाज
- आरती : मुरली तू जो गोपाले भावे
- शयन : लाल माई भीजत आए
- मान : यह ऋतू रुसवे की नाही
- पोढवे : रावटी सुख सेज
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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