व्रज – श्रावण कृष्ण सप्तमी, बुधवार, 20 जुलाई 2022
आज की विशेषता : गुलाबी धोरा के रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, चंद्रिका, कतरा
- आज ठाकुरजी अपनी अनन्य भक्त ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताज़बीबी की विनती पर सर्वप्रथम श्री गुसांईजी ने धराया था
- ताज़बीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के अन्य पांच दिन निश्चित नहीं हैं
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज श्रीजी में गुलाबी धोरा के रंग की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है
- खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है, स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट गुलाबी और गोटी बाघ बकरी वाली पधरायी जाती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज श्रीजी को गुलाबी धोरा के रंग की मलमल का धोरे (थोड़े-थोड़े अंतर से किनारी के धोरे) वाला सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र रुपहरी ज़री की किनारी से सजे होते हैं
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं. कमल माला धरायी जाती हैं
- श्रीमस्तक पर गुलाबी धोरा के रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, चंद्रिका, कतरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- श्रीकर्ण में लोलकबिन्दी (लड़ वाले कर्णफूल) धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ तुलसी एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं कटि पर दो वेत्रजी (एक स्वर्ण के) धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी श्रृंगार में आरसी नित्यवत चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला: गरज गरज रिम झिम रिम झिम
- राजभोग: मानो कसोटी कसी देखो माई
- हिंडोरा: नवल हिंडोलना साज्यो, सो सावन आयो सेन काम की,
- माई री झुलतरंग हिंडोरे, झुलत लाल वृन्दावन
- शयन: मन मोहन रंग बोरे
- मान: ऐसी ऋतु सदा सर्वदा जो रहे
- पोढवे: पोढ़े हरि राधिका के संग
- विशेष: श्रावण कृष्ण 7 तक प्रतिदिन बाल लीला के पद। राजभोग में मल्हार व सांझ को हिंडोरा के पद गाये जाते है
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी फल फूल के हिंडोलने में झूलते हैं.
- उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.
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जय श्री कृष्ण
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