व्रज – श्रावण कृष्ण द्वादशी, सोमवार, 25 जुलाई 2022
आज की विशेषता: आज की विशेषता : भोपालशाही लेहरिया के वस्त्र मुकुट काच्छ्नी का अद्भुत श्रृंगार, शाकभाजी का हिंडोलना
- आज श्रीजी को नियम का मुकुट और गोल-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है. यह मेवाड़ के प्रसिद्ध भोपालशाही लेहरिया के वस्त्र एवं मुकुट और गोल-काछनी के अद्भुत श्रृंगार है
- आज धरायी जाने वाली काछनी को मोर-काछनी भी कहा जाता है. इसे मोर-काछनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि आकार में यह खुले पंखों के साथ नृत्यरत मयूर (मोर) का आभास कराती है
- संआज के अतिरिक्त मुकुट के साथ गोल-काछनी का श्रृंगार केवल शिवरात्रि के दिन धराया जाता है यद्यपि उस दिन काछनी का रंग अंगूरी (अंगूर जैसा हल्का हरा) होता है
- प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है
- विक्रम संवत 2014 में नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री ने आज के दिन मेवाड़ की महारानीजी के आग्रह पर उनके द्वारा जमा करायी गयी धनराशि से सोने के हिंडोलने का मनोरथ किया जो अब स्थायी रूप से प्रतिवर्ष इस दिन होता है. लेकिन इस वर्ष की हिंडोलना की सूचि में शाक-भाजी के हिंडोलना के दर्शन होंगे
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज आज नृत्य की मुद्रा में श्री स्वामिनीजी, श्री यमुनाजी एवं मोरकुटी के ऊपर नृत्य करते मयूरों के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है
- श्रीजी को भी रास का श्रृंगार धराया जाता है जिससे वे दोनों भी प्रभु के साथ रास कर रहे हों ऐसा सुन्दर आभास होता है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते हैखेल के साज में आज पट केसरी और गोटी मोर वाली पधरायी जाती है
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है, स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट केसरी और गोटी मोर वाली पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को सूथन, मोरकाछनी जो गोल आकार में होती है जिसके साथ रास पटका धराया जाता है.
- सभी वस्त्र पीले भोपालशाही लहरिया के और सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैंठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी अर्थात डोरिया के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के हीरे के धराये जाते हैं
- कस्तूरी, कली, कमल आदि सभी माला धरायी जाती हैं
- श्रीकंठ में नीचे पदक, ऊपर हीरा, पन्ना, माणक, मोती के हार व दुलड़ा धराया जाता है.
- श्रीमस्तक पर सिलमा सितारों की टोपी पर सिलमा सितारों का सुन्दर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. आज चोटीजी नहीं धरायी जाती है
- श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के स्वर्ण जडित वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला : मंगल आज नन्द राटा
- राजभोग : अरी इन मोरन की भांत देखो
- हिंडोरा : झुलत गिरवरधारी, झुलत रंग भरे हों
- दोऊ कुञ्ज कुटीर, मोर मुकुट को लटकन मटकन
- शयन : राधा झुलत रमक झमक
- मान : नन्द नंदन बन बोली
- पोढवे : झूम झूम आई हो घटा
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में शाक-भाजी के हिंडोलना के दर्शन होंगे. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं
- आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं. श्री नवनीतप्रियाजी भी शाक-भाजी के हिंडोलने में झूलते हैं
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जय श्री कृष्ण
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