नाथद्वारा (दिव्य शंखनाद)। इस साल आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर समस्त देशवासियों में उत्साह है। इन दिनों देशभर के जैन मंदिरों में जैन मुनियों, साध्वियों का चातुर्मास भी चल रहा है जहां जैन संतों द्वारा भी प्रभु भक्ति के साथ-साथ श्रद्धालुओं को राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया जा रहा है। इसी क्रम में श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि हर घर तिरंगा फहराना चाहिए। राष्ट्रभक्ति सबसे बड़ी भक्ति है, देश के विकास में सभी का योगदान जरूरी है, लेकिन आजादी के लिए जो लक्ष्य बने थे, उसे भी हर घर तक पहुंचाना होगा, तभी आजादी का लक्ष्य पूरा होगा। आज भी हम मानसिकता से गुलाम है। आजादी का अर्थ है अपने मौलिक अधिकार मिले, जब देश के प्रति अपना स्वाभिमान जागेगा, तभी आजादी के सही मायने होंगे।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने आगे कहा कि कि देशभक्ति को लेकर अब लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। यह अच्छा संकेत है। राष्ट्र है तो हम हैं, हमारा अस्तित्व राष्ट्र ही है।
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पढ़ाई मातृभाषा में होनी चाहिए, लेकिन हम विदेशी भाषा के पीछे भाग रहे हैं, हमारा इतिहास छोड़कर विदेश का इतिहास पढ़ रहे हैं, आवश्यकता है सरकारें युवा पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति, धर्म, रीति रिवाजों, मर्यादाओं और संस्कारों से उनको अवगत करवाने के लिए उच्च स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन करे।