उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मेवाड़ के 63वें एकलिंग दीवान महाराणा अरिसिंह जी द्वितीय की 282वीं जयंती मनाई गई। महाराणा अरिसिंह जी का जन्म वि.सं.1797, भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी (ई.सं. 1740) को हुआ था। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में मंत्रोच्चारण के साथ उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर दीप प्रज्जवलित किया गया। सिटी पेलेस भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों के लिए चित्र सहित ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि महाराणा राजसिंह द्वितीय के निसन्तान होने के कारण सरदारों ने महाराणा जगतसिंह द्वितीय के छोटे पुत्र अरिसिंह को वि.सं. 1817 चैत्र कृष्ण तेरस को गद्दीनशीनी हुई।
महाराणा अरिसिंह के समय में होल्कर, सिंधिया व मराठों ने मेवाड़ पर कई आक्रमण किये। निरन्तर बाहरी आक्रमण एवं पारस्परिक गृह-कलह से मेवाड़ राज्य को बहुत हानि हुई जिसका मराठो ने बहुत लाभ उठाया। मेवाड़ की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने अमरचन्द बड़वा को मेवाड़ का प्रधान मंत्री नियुक्त किया। वि.सं. 1829 चैत्र कृष्ण एकम को बूंदी के राव अजीतंिसह ने अमरगढ़ में शिकार के समय धोखे से महाराणा पर वार किया जिससे वे वहीं मारे गये। महाराणा का दाहसंस्कार अमरगढ़ में ही किया गया।
महाराणा ने अपने कार्यकाल में पिछोला झील में बंसी घाट, पीपली घाट (रूप घाट), और अर्सी विलास का निर्माण कराया तथा एकलिंगगढ़ में तोप की स्थापना करवाई।