व्रज – भाद्रपद शुक्ल एकादशी (दशमी क्षय), मंगलवार, 06 सितम्बर 2022
विशेष: कल वामन द्वादशी का उत्सव है. जैसा की हम जानते है, प्रभु श्रीनाथजी की सेवा प्रणालिका में प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व आगम का श्रृंगार धराया जाता है. सामान्यतः लाल वस्त्र, पीले ठाड़े वस्त्र एवं पाग पर सादा मोरपंख की चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है. आज दान (परिवर्तिनी) एकादशी, दान आरंभ, दश-दिंगत विजयी नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री पुरुषोत्तमजी का उत्सव, जलझुलनी एकादशी
- साज
- आज श्रीजी में लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी स्वर्ण की छोटी पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सुनहरी किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा हल्का (कमर तक) श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना तथा जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच तथा मोरपंख की सादी चन्द्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- चार माला धराई जाती है.
- श्रीकर्ण में मिलवा कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- श्रृंगार में आरसी सोने की दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: कह धों कुंवरी कहाँ ते आई
- राजभोग: बुझत जननी कहा हुती प्यारी
- आरती: नैन केंधो बट प्यारे राधे
- शयन: धन धन लाडली के चरण
- पोढवे: गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
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जय श्री कृष्ण
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