व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्थी, बुधवार, 14 सितम्बर 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है: ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- आज सूथन, फेंटा और पटका का श्रृंगार धराया जाता है.
- आज ठाकुर जी अपनी एक भक्त ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं.
- यह श्रृंगार ताज़बीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था.
- ताज़बीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है.
- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के अन्य पांच दिन निश्चित नहीं हैं.
- ताज़बीबी बादशाह अकबर की बेग़म, प्रभु की भक्त और श्री गुसांईजी की परम-भगवदीय सेवक थी. उन्होंने कई कीर्तनों की रचना भी की है.
- साज
- श्रीजी में आज सांकरी खोर में दूध-दही बेचने जाती गोपियों के पास से दान मांगते एवं दूध-दही लूटते श्री ठाकुरजी एवं सखा जनों के सुन्दर चित्रांकन वाली दानलीला की प्राचीन पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया पर सफ़ेद व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज श्याम और गोटी बाघ बकरी की पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज मेघश्याम रंग के किनारी के धोरा का सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है.
- दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्याम रंग का फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज कमल माला, श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: चले किन जाओ अपुनी गेल
- राजभोग: यहाँ अब काहे को दान
- आरती: अब ही दान देहो या दधि को
- शयन: भैय्या हो घेरो हो ब्रजनारी
- मान: आज सुहावनी रात
- पोढवे: श्यामाजू सक सेज
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
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जय श्री कृष्ण
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