व्रज – आश्विन कृष्ण एकादशी, बुधवार, 21 सितम्बर 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है: श्रीनाथजी में आज महादान एकादशी
- आज दान का नियम का सातवाँ मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
- प्रभु के स्वरुप से भी लम्बी एक लकुटी (छड़ी) प्रभु के पीठिका के सहारे खड़ी धरी जाती है जिसका भाव यह है कि भारी श्रृंगार के रहते प्रभु उछल के मटकी नहीं फोड़ पाएंगे अतः लम्बी वेत्रजी (छड़ी) पास में होगी होगी तो खड़े-खड़े ही प्रभु मटकी फोड़ देंगे हालाँकि प्रदर्शित चित्रजी में यह द्रश्यमान नहीं हैं.
- आज प्रभु को शाकघर का महादान आरोगाया जाता है.
- गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में आज श्रीजी को शाकघर और दूधघर में विशेष रूप से सिद्ध किये गये दूध, दही, केशरिया दही, श्रीखंड, केशरी बासोंदी, मलाई बासोंदी, गुलाब-जामुन, छाछ, खट्टा-मीठा दही बटेरा में अरोगाये जाते हैं.
- दान के अन्य दिनों के अपेक्षा आज प्रभु को कई गुना अधिक हांडियां अरोगायी जाती है. आज व्रज के गोवर्धन के दान का भाव है.
- कीर्तनों में श्री हरिरायजी रचित बड़ी दानलीला गायी जाती है.
- साज
- साज सेवा में आज दानलीला के दिवसों के अनुरूप, मस्तक पर गौरस की स्वर्णजड़ित मटकियाँ लेकर मुग्धभाव से प्रभु की ओर आ रही गोपियों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी व खेल के साज प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज लाल और गोटी मोर वाली पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, केसरी और लाल दो काछनी तथा रास-पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र सफेद भातवार के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्णजड़ित हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हीरा एवं स्वर्ण का जड़ाऊ मीनाकारी वाला मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज कस्तूरी कली, कमल माला एवं श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: गोवर्धन की शिखर ते
- राजभोग: कृपा अवलोकन दान दे री, आज दधि कंचन मोल लई
- आरती: आज नन्द के नंदन सो
- शयन: कबे दान दीनो हो ब्रजराई
- मान: नवल कुञ्ज नवल मृगनैनी
- पोढवे: पोढ़े हरी राधिका के समग
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- सांझी दर्शन: आज संध्या आरती के पश्चात श्रीनाथजी मंदिर के कमल चौक में स्थित हाथी पोल की दहलीज पर लालबाग, सेरगढ़, शेष सैया के बीच, नाथद्वारा का लालबाग के भाव की सांझी मांडी जाती है.
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जय श्री कृष्ण
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