ग्रीन हाउस/ शेडनेट स्थापना पर मिलेगा 50-70 प्रतिशत अनुदान
राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। जिस तरह जलवायु परिवर्तन से देश कि कृषि प्रभावित हो रही हैए ऐसे समय में जरूरत है कृषि में नई तकनीक के इस्तेमाल करनाए जिससे फसल उत्पादन पर कोई असर न पड़े और अच्छा उत्पादन मिलता रहे। ऐसी ही तकनीक है संरक्षित खेती। हमारे देश में 58 प्रतिशत से ज्यादा लोग अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। इस प्रकार कृषिए रोजगार और आजीविका पोर्जल का सबसे बड़ा स्त्रोत है।
संरक्षित खेती नए युग की ऐसी नवीनतम कृषि प्रणाली है, जिसके माध्यम से किसान फसलो की मांग के अनुसार वातावरण को नियंत्रित करते हुए मंहगी फसलों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करते है, जहा पर धुप, छांव, गर्मी व ठंडक का अधिक प्रभाव न हो साथ ही तेज बारिश का असर और तीव्र हवाओं का प्रकोप भी न हो और फसलो का प्राकृतिक प्रकोपो व अन्य कारणो से बचाव किया जा सके। इस तकनीक से ऐसा वातावरण तैयार करते हैए जहां जलवायु परिर्वतन के चलते फसलों पर कोई विपरित प्रभाव न पड़ें। संरक्षित खेती के द्वारा किसान प्रतिकुल परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। संरक्षित खेती अपना कर फलए फुल और सब्जियों की उत्पादकता को वातावरण की तुलना में 4.5 गुना बढ़ाया जा सकता है।
बागवानी विभाग के सहायक निदेशक डॉ खुमान सिंह ने बताया कि इन तकनीकों के अन्तर्गत फसलों की अच्छी उत्पादकता के साथ बेहतर गुणवत्ता भी प्राप्त होती है। ग्रीन हाउस व शेडनेट हाउस के फायदे रू. पर्यावरण नियंत्रित संसाधनो ;ग्रीनहाउसध्शेडनेट हाउसद्ध के अन्तर्गत की जाने वाली संरक्षित खेती से फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में लगभग 5.12 प्रतिशत की वृद्धि होती है। साथ ही यह तकनीक सब्जियोए फुलों की फसलों को पैदा करने के लिए आर्दश रूप से अनुकुल है।
राजसमंद जिले में उद्यान विभाग द्वारा ग्रीन हाउस स्थापना संचालित है, जिसमें कृषकों को अनुदान जारी कर ग्रीन हाउस स्थापना करवाई जाती है। उद्यान विभाग द्वारा लघू/सीमान्त अजा, व अजजा कृषकों को इकाई लागत का 70 प्रतिशत एवं अन्य को इकाई लागत का 50 प्रतिशत अनुदान अधिकत 4000 वर्ग मी. तक देय है