व्रज – आश्विन शुक्ल प्रतिपदा, सोमवार, 26 सितम्बर 2022
आज की विशेषताएँ: आश्विन नवरात्रि स्थापना, नवविलास आरम्भ 26 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक और 5 अक्टूबर को दशहरा है.
विशेष: आज आश्विन नवरात्रि स्थापना का दिन है. सनातन धर्म में वर्ष में चार नवरात्रियाँ होती है जिसमें दो गुप्त और दो गोचर अथवा प्रत्यक्ष (चैत्री और आश्विन) नवरात्रियाँ होती हैं. प्रत्यक्ष नवरात्रियों में सात्विक शक्ति स्वरुप दैवी-पूजन होता है
श्रीजी मे आज का सेवाक्रम:
- उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी को हल्दी से मांडा जाता हैं.
- आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- गेंद, चौगान, दीवाला आदि सभी सोने के आते हैं.
- आज तकिया के खोल एवं साज जड़ाऊ स्वर्ण काम के आते हैं.
- दिन में सभी समय झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.
- चारों समा की आरती थाली में की जाती है.
- श्रीजी में आज से हल्की गुलाबी सर्दी का आरंभ माना जाता है अतः मंगला समय पीठिका के ऊपर श्वेत दत्तु (बिना रुई की ओढनी) ओढायी जाती है.
- मंगला दर्शन के पश्चात प्रभु को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.
- आज श्रीजी को नियम के हरी सूथन, लाल छापा के चोली एवं चाकदार खुलेबंध वागा और श्रीमस्तक पर कुल्हे धरायी जाती है.
- श्रीजी को भोग सेवा के तहत गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से चन्द्रकला (सूतर फेणी) और विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर-युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख का रायता अरोगाया जाता है.
- भोग आरती में फीका में चालनी (तला हुआ मेवा)आरोगाया जाता हैं.
- सखड़ी में केसरी पेठा व मीठी सेव खडंरा प्रकार इत्यादि अरोगाया जाता हैं.
- आज से प्रतिदिन दोनों अनोसर में सिंहासन से शैयाजी तक पेंडा (रुई से भरी पतली गादी) बिछाई जाती है जिससे हल्की ठंडी भूमि पर ठाकुरजी को शीत का आभास ना हो.
- साज
- साज सेवा में आज लाल रंग की छापा की त्रिशूल वाली सफेद ज़री की किनारी से सुसज्जित एवं हरे रंग के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी आदि सर्वसाज जड़ाव स्वर्ण के धरे जाते हैं.
- प्रभु के सम्मुख चांदी की त्रस्टीजी धरे जाते हैं जो कि दिन के अनोसर में ही धरे जाते हैं.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल छापा के रुपहली ज़री की किनारी के चाकदार एवं चोली धरायी जाती है. सूथन हरे रंग का धराया जाता हैं.
- ठाड़े वस्त्र श्वेत रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रीजी को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा, पन्ना, माणक, मोती एवं नीलम के जड़ाव स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल छापा के कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- हीरा की चोटीजी धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- पीठिका के ऊपर प्राचीन स्वर्ण का जड़ाव का चौखटा सुशोभित होता है.
- एक दुलड़ा एवं सतलड़ा धराया जाता हैं.
- नीचे सात पदक एवं ऊपर हीरा पन्ना, मानक एवं मोती के हार धराए जाते है
- कली, कस्तूरी आदि सभी माला धरायी जाति हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरे के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट उत्सव का एवं गोटी सोने की जाली वाली आती हैं.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की डाँडी की दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: जान्यो जान्यो री सयान
- राजभोग: आज की बानक लाल
- आरती: पूजन चलो हो कदम्ब बन
- शयन: ए मोपे आज की बानक
- मान: आज सुहावनी रात
- पोढवे: राय गिरधरन संग राधिका रानी
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- प्रथम विलास कियो श्यामाजू
- किनौ विपिन विहारजू ।।
- उनके बिधकी शोभा बरनो
- कहत न आवे पारजू ।।१।।
- बाके युथकी गणना नाहीं
- निर्गुण भक्ति कहावे ।।
- तारी संख्या कहत न आवै
- शेषहू पार न पावे ।।२।।
- घोषघोष प्रति गलिनगलिन प्रति
- रंगरंग अंबर साजें ।।
- कियौ शृंगार नखशिख अंग युवती
- ज्यों करनी गण साजें ।।३।।
- बहु पूजा लै चली वृंदावन
- पान फूल पकवानै ।।
- तारे यूथ मुख्य संजावलि
- चंद्रकलासी बानै ।।४।।
- पोहौंची जाय निकुंज भवनमें
- दरसी वृंदादेवी ।।
- तारे पद बदन करि माँग्यौ
- श्याम सुंदर वर एवा ।।५।।
- तिहिंछिन प्रभुजी आप पधारे
- कोटिक मन्मथ मोहै ।।
- अंगअंग प्रति रुपरुप प्रति
- उपमा रवि शशि कोहै ।।६।।
- द्वैजुग जाम श्याम श्यामा संग
- केलि बिबिध रंग कीने ।।
- उठत तरंग रंगरस उछलित
- दास रसिक रस पीने ।।७।।
- ………………
- बल बल आज की बानिक लाल l
- कसुम्भी पाग पीत कुलह भरित कुसुम गुलाल ll 1 ll
- विश्वमोहन नवकेसर को तिलक ललित भाल l
- सुन्दर मुख कमल हि लपटावत मधुप जाल ll 2 ll
- बरुनी पीत विथुरित बंद सुभग उर विसाल l
- ‘गोविंद’ प्रभुके पदनख परसत तरुन तुलसीमाल ll 3 ll
- ……………………..
……………………
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………………….