उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। यूनेस्को नई दिल्ली कार्यालय के तत्वावधान में इंटरनेशनल इंफोर्मेशन एंड नेटवर्किंग सेंटर (आईसीएच) के सह-सहयोग से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों के लिए दो दिवसीय ‘2022 इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज एनजीओज् कॉन्फ्रेंस’ का महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के सहयोग से आज हुआ समापन। फाउण्डेशन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि इस 2 दिवसीय कॉन्फ्रेंस’ का मूल उद्देश्य अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों को सतत और समावेशी विकास हेतु प्रेरक शक्ति प्रदान करना और इन विरासतों को सुरक्षित रखते हुए इन्हें संरक्षण प्रदान करना है।
समापन अवसर पर यूनेस्को नई दिल्ली क्लस्टर कार्यालय के निदेशक एरिक फाल्ट ने उदयपुर राजपरिवार के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विरासत से जुडे़ संस्था प्रधानों, विशेषज्ञों, राज्य सरकार के पर्यटन विभाग, क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय की उप निदेशक शिखा सक्सेना तथा कॉन्फ्रेंस में भाग लेने आए उपस्थित सदस्यों आदि का आभार-अभिवादन करते हुए एरिक ने कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों का अस्तित्व मानव समुदायों के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसी धरोहरों का जीवंत रहना और आगे से आगे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इसे वास्तविक रूप में संजोये रखना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नितांत आवश्यक है। समृद्ध सांस्कृतिक प्रथाओं, परम्पराओं को जीवंत रखते हुए इनके समावेशी विकास के लिए हमें सामुदायिक भागीदारी निभानी होगी और इनके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। यह सम्मेलन उसी दिशा की ओर अग्रसर है।
इसके साथ ही इंटरनेशनल इन्फोर्मेशन एंड नेटवर्किंग सेन्टर फोर इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज-एशिया प्रशांत क्षेत्र के डायरेक्टर जनरल किम जीसुंग ने आईसीएच की कार्यप्रणाली, मुख्य योजनाएं, सम्मेलनों आदि पर प्रकाश डालते हुए ‘2022 इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज एनजीओज् कॉन्फ्रेंस’ में भाग लेने वाले सदस्यों-संस्थाओं का आभार जताया। दो दिवसीय सम्मेलन में दक्षिण एशियाई सांस्कृतिक धरोहरों पर हुई परिचर्चा महेश बाबू ने ‘मेरी कला मेरी पहचान’ में भारतवर्ष के केरल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उडीसा, कश्मिर, गोवा, कर्नाटक आदि राज्यों के पारम्परिक नृत्यों की झलकियांे का प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया। जिसमें भारत की विभिन्नता में एकता की झलक प्रस्तुत करते हुए आपने कलाकारों और कलाकारों की कला पर जानकारी प्रदान की।
सर्व शांति आयोग (साशा) की सुजाता गोस्वामी ने महिलाओं के लिए रोजगार की दृष्टि से पारंपरिक पेंटिंग, सिलाई, ज्वेलरी, वस्त्र-परिधान पर किए जा रहे कार्यों के साथ ही इनके लिए मार्केट चेन पर अपने कार्ययोजनाओं को सभी के साथ साझा किया।
लद्दाख कला एंव मीडिया संगठन की संस्थापक एवं कार्यकारी निदेशक मोनिशा अहमद ने लद्दाख के पारंपरिक नृत्य, विरासतों, संगीत, पेंटिंग, पहनावें के साथ वहां की प्राचीन धरोहरों आदि पर कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करते हुए उनके प्रकाशनों एवं वहां की सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ संस्था की कार्ययोजना प्रस्तुत की। किष्किंधा ट्रस्ट की संस्थापक एवं ट्रस्टी शमा पवार ने हम्पी वर्ल्ड हेरिटेज साइट, हनुमान जन्मस्थली, सुग्रीव के निवास स्थल, रामायण में वर्णनानुसार वहाँ के परिदृश्यों आदि पर विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए उस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया।
जैसलमेर की गुंसर लोक संगीत संस्थान के बक्श खां ने राजस्थान के मरु क्षेत्र के पारम्परिक संगीत, कालबेलिया नृत्य, गायन आदि पर संस्था द्वारा इस विद्या को बचाते हुए वर्तमान में बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है। जिसमें संस्था स्वयं अपने वाद्य यंत्रों को बनाना, उनके उपयोग, नृत्य एवं गायन कला की शिक्षा आदी पर प्रेरणा प्रदान कर रही है जिसपर अपनी योजनाएं प्रस्तुत की।
सेंटर फोर हेरिटेज मेनेजमेंट की निदेशक नील कमल चम्पागैन ने आईसीएच के उपायों पर चर्चा करते हुए नवीन वैज्ञानिक तकनीकी और कलात्मक अध्ययन, अनुसंधानों आदि जानकारियां प्रस्तुत करते हुए विरासतों के संरक्षण में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।
जनरल एकेडमिक आर्काइव्स एंड रिसर्च सेंटर फोर एंथनोम्यूजिकोलॉजी की एसोसिएट डायरेक्टर शुभा चौधरी और नेशनल मिशन ऑफ कल्चरल मेपिंग की डायरेक्टर मौली कौशल ने अपनी संचालित संस्थाओं के कार्यकलापों एवं कार्ययोजनाओं पर प्रकाश डाला। गु्रप डिस्कशन कर प्रश्नोत्तर के साथ ही सत्रों का समापन हुआ, जिसमें क्राफ्ट रिवाइवल ट्रस्ट की रितु सेठी ने संस्था एवं कॉन्फ्रेंस पर चर्चा करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। आईसीएच एवं यूनेस्को की ओर से मीडिया, संस्था प्रधानों, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं, महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर स्टॉफ आदि का यूनेस्को नई दिल्ली कार्यालय की ओर से जुन्ही हान ने बहुत बहुत आभार व्यक्त करते हुए जल्द मिलने की बात कही।