व्रज – आश्विन शुक्ल द्वितीया, मंगलवार, 27 सितम्बर 2022
द्वितीय विलास कियौ श्यामाजू, खेल समस्या कीनी ।
ताकी मुख्य सखी ललिताजू, आनंद महारस भीनी ।। १ ।।
चली संकेत बिहार करन बलि, पूजा साजि संपूरन ।
बहु उपहार भोग पायस लै, बाँह हलावत मूर ।।२।।
मंदिर देवी गान करत यश, आय मिले गिरिधारी ।
मन कौ भायौ भयौ सबन कौ, काम वेदना टारी ।।३।।
स्यामा कौ शृंगार श्याम कौ, ललिता नीवी खोली ।
लीला निरखत दास रसिकजन, श्रीमुख स्यामा बोली ।। ४ ।।
आज की विशेषताएँ: द्वितीय विलास के अंतर्गत सेहरा के श्रृंगार- नवविलास के अंतर्गत द्वितीय विलास के आधार पर आज द्वितीय विलास की भावना का स्थल व्रज में संकेत वन है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी श्री ललिताजी है और सामग्री खीर की है. यद्यपि यह सामग्री श्रीजी में नहीं अरोगायी जाती परन्तु कई गृहों में नवविलास में अरोगायी जाती है.
- साज
- साज सेवा में आज संकेत वन में विवाह लीला के सुन्दर चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी आदि सर्वसाज जड़ाव स्वर्ण के धरे जाते हैं.
- पडघा पर बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- दिन में सभी समय झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.
- प्रभु के सम्मुख चांदी की त्रस्टीजी धरे जाते हैं जो कि दिन के अनोसर में ही धरे जाते हैं.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी राग रांग की आती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की छापा की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी वाली धोती और इसी प्रकार का राजशाही पटका धराया जाता है.
- आज के वस्त्र विशिष्ठता लिए हुए है, विशेष रूप से धोती के ऊपर पीले रंग के छापा का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी वाला खुलेबंद के चाकदार वागा एवं चोली भी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रीजी को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना तथा जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग का छापा के दुमाला के ऊपर हीरो का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- दायीं ओर सेहरे की मोती की चोटी धरायी जाती है
- श्रीकर्ण में पन्ना के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला, कस्तूरी कली एवं कमल माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: ऐ बंसीनाद सुर साध के बजाई
- राजभोग: दिन दुल्हे मेरो कुंवर कन्हैया
- आरती: राधा प्यारी दुल्हन जू को दूल्हा
- शयन: दुल्हे देखन जाय अरी
- मान: राधे जू के प्राण गोवेर्धनधारी
- पोढवे: श्यामा जू दुल्हन दुल्हे को लाल
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
राजभोग दर्शन कीर्तन (राग : सारंग)
दिन दुल्है मेरो कुंवर कन्हैया l
नित उठ सखा सिंगार बनावत नितही आरती उतारत मैया ll 1 ll
नित उठ आँगन चंदन लिपावे नित ही मोतिन चौक पुरैया l
नित ही मंगल कलश धरावे नित ही बंधनवार बंधैया ll 2 ll
नित उठ व्याह गीत मंगलध्वनि नित सुरनरमुनि वेद पढ़ैया l
नित नित होत आनंद वारनिधि नित ही ‘गदाधर’ लेत बलैया ll 3 ll
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जय श्री कृष्ण
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