व्रज : कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, गुरुवार, 13 अक्टूबर 2020
विशेष: दीपावली के पूर्व कार्तिक कृष्ण द्वादशी का प्रतिनिधि श्रृंगार
- दशहरा के अगले दिन से दीपावली के उत्सव के प्रतिनिधि के श्रृंगार धराये जाते हैं.
- इनमें कार्तिक कृष्ण दशमी से दीपावली तक धराये जाने वाले सभी छह श्रृंगारों के प्रतिनिधि के श्रृंगार आगामी दिनों में धराये जाएंगे.
- इनमें कुछ श्रृंगार के दिन नियत व कुछ खाली दिनों में धराये जाते हैं.
- प्रतिनिधि श्रृंगार में वस्त्र, साज और श्रृंगार आदि मुख्य श्रृंगार जैसे ही होते हैं.
- इसी श्रृंखला में आज दीपावली के पहले वाली द्वादशी को धराये जाने वाले वस्त्र और श्रृंगार धराया जाता है जिसमें पिली सलीदार ज़री के घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पिले चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर पन्ना की कशी के काम की चन्द्रिका धरायी जाती है.
- लगभग यही वस्त्र व श्रृंगार दीपावली के पूर्व की वत्स द्वादशी को भी धराये जायेंगे.
- इस श्रृंगार को धराये जाने का अलौकिक भाव भी जान लें. अन्नकूट के पूर्व अष्टसखियों के भाव से आठ विशिष्ट श्रृंगार धराये जाते हैं. जिस सखी का श्रृंगार हो उनकी अंतरंग सखी की ओर से ये श्रृंगार धराया जाता है. आज का श्रृंगार तुंगविद्याजी का है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज कत्थाई आधार पर कला बत्तू के काम की तथा श्याम हाशिया पर सुनहरी सुरमा सितारा के भरतकाम पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज पीली सलीदार ज़री का सूथन, घेरदार वागा एवं चोली धराए जाते है.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज मध्य का अर्थात घुटने तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- ठहार, हांस, त्रवल, कड़ा, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना तथा सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पीले रंग के सलीदार चीरा (जिसे ज़री की पाग भी कहते है) के ऊपर सिरपैंच, पन्ना की काशी के काम की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की दो जोड़ी धराई जाती हैं.
- कली की मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्वर्ण के (एक पन्ना का) वेणुजी एवं बेंतजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट प्रतिनिधि का एवं गोटी सोना की आती हैं.
- आरसी नित्य की दिखाई जाती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : बार बार हरी सिखवन लागे
- राजभोग : सुनिए तात हमारो मतो
- आरती : बाजत नन्द आवास बधाई
- शयन : विनती करत नन्द कर जोरे
- मान : पिय को बदन निहारे
- पोढवे : वे देखो बरत झरोखन दीपक
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के आभरण व श्रीमस्तक पर रुपहली लूम तुर्रा धराकर शयन दर्शन खुलते हैं.
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जय श्री कृष्ण
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