व्रज – कार्तिक शुक्ल तृतीया शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022
विशेष:–
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
- ये इन्द्रमान भंग के दिन है अतः कार्तिक शुक्ल तृतीया से अक्षय नवमी तक इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं
श्रीजी दर्शन:
- साज:
- साज सेवा में आज फिरोजी रंग की जरी की वस्त्रों जैसी ही हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. – गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को फिरोजी ज़री का बड़े बुटा वाले रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं
- ठाडे वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छेडान का हल्का श्रृंगार धराया जाता
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण स्वर्ण धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर फिरोजी ज़री की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट फिरोजी एवं गोटी मीना की आती हैं.
- सायंकालीन सेवा:
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीकंठ व श्रीमस्तक पर धराये श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: बोल लिए सब ग्वाल
- राजभोग: तातजु गिरवर पूछो आए
- आरती: बिफर गरी घुमर और कारी
- शयन: दीपदान ब्रजराज
- मान: दीपदान दे कान जगाए
- पोढवे: रचित रुचिर रच सेज बनाई
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जय श्री कृष्ण
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