व्रज – कार्तिक शुक्ल अक्षयनवमी बुधवार, 2 नवम्बर 2022
विशेष:
- आज शंखनाद होने के पश्चात श्रीनवनीतप्रियाजी अपने निज मंदिर में पधारते हैं.
- आज लगभग 5.30 मंगला दर्शन खुल जाएंगे जो लगभग 1 घंटे खुले रहेंगे हैं.
- विगत कल (दीपावली की रात्रि) वस्त्र, श्रृंगार बड़े नहीं किये जाते अतः आज मंगला दर्शन उन्हीं वस्त्र, श्रृंगार में होते हैं.
- मंगला दर्शन उपरांत डोल-तिबारी में अन्नकूट भोग सजाये जाने प्रारंभ हो जाते हैं अतः अन्य सभी समां के दर्शन भीतर होते हैं. दिन भर का पूरा सेवाक्रम भीतर होता रहता है.
- रात्रि 9.00 बजे अन्नकूट के दर्शन खुलेंगे जो कि लगभग 2 घंटे तक होते होंगे.
- अन्नकूट के दर्शन के पश्चात अन्नकूट लूट के दर्शन खुलेंगे जो की रात्रि 11:00 बजे से लगभग 1:30 घंटे तक खुले रहेंगे
- महोत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- श्रीजी को अन्नकूट के लिए सिद्ध की जा रही विशेष सामग्रियां गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में अरोगायी जाती हैं.
- ये सामग्रियां आज अन्नकूट उत्सव पर भी अरोगायी जाएँगी. इस श्रृंखला में आज विशेष रूप से श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में धांस (उड़द दाल) की बूंदी के लड्डू व दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है.
- राजभोग पश्चात गोवर्धन पूजा की जाती है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में सर्व साज दीपावली के दिवस धरा हुआ ही आज भी धराया जाता है.
- वस्त्र सेवा में भी श्रीजी को आज दीपावली के दिवस धरे गये श्वेत ज़री के वस्त्र ही धराये जाते हैं.
- श्रृंगार वृद्धि में राजभोग के पश्चात ऊर्ध्व भुजा की ओर लाल रंग का ज़री का किनारी बिना का पीताम्बर धराया जाता है जिनके दो अन्य छोर चौखटे के ऊपर रहते हैं.
- ऐसा पीताम्बर वर्ष में दो बार (आज के दिन व जन्माष्टमी, नन्दोत्सव के दिन) धराया जाता है.
जन्माष्टमी, नन्दोत्सव के दिन यह केवल चौखटे पर धराया जाता है परन्तु आज यह श्रीहस्त में भी धराया जाता है. - प्रभु यह पीताम्बर गायों, ग्वालों और निजजनों पर फिरातें हैं जिससे उनको नज़र ना लगे.
- चतुर्भुजदास जी ने इस भाव का एक पद भी गाया है.
- खेली बहु खेली गाय, बुलाई घुमर घोरी ।
- बछरा ऊपर ‘ऊपरना फेरत’ दाढ़ मेल के डोरी ।।
- आप गोपाल फ़ूक मारत है गौ सुत भरत अंकोरी ।
- घों घों करत लकुट कर लीने ‘मुख फेरत पिछोरी’ ।।
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल ज़री का सूथन व फूलक शाही श्वेत ज़री के रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित चाकदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं
- ठाड़े वस्त्र अमरसी अर्थात गहरे केसरी रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- आज अभ्यंग नहीं होता. सर्व श्रृंगार दीपावली के दिवस के ही रहते हैं.
- आज दो जोड़ी के एक माणक और एक पन्ना की प्रधानता वाले श्रृंगार धरे जाते हैं.
- दोनो हालरा नहीं धराये जाते हैं.
- केवल श्रीमस्तक के ऊपर लाल रंग की ज़री की तुई की किनारी वाला गौकर्ण धराया जाता है.
- इसी प्रकार कुल्हे के ऊपर सिरपैंच बड़ा कर दिया जाता है और इसके बदले जड़ाव पान धराया जाता है.
- कमलछड़ी एवं पुष्प मालाजी दीपावली के दिवस के होते हैं अतः बदले जाते हैं.
- श्रीहस्त में जड़ाव सोने के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: पूजा विधि गिरिराज की
- राजभोग: (भीतर) बड्डन को आगे
- खेली बहो खेली
- पूजावे पधारे: चलेरी गोपाल गोवर्धन पूजन
- गोवर्धन पूजा: बड्डन को आगे
- गोवर्धन पूजा कर गोविन्द
- अन्नकूट भोग: अन्नकूट कोटिक भातन सो
- गोकुलराज गोवर्धन गोधन
- अन्नकूट: गोद बैठे गोपाल
- अपने अपने टोल कहत
- बोल लिए सब ग्वाल
- इत्यादि
- आरती: राजे गिरिराज आज
- शयन: कान्ह कुंवर के कर
- पोढ़वे: भयो हरी पोढ़न को समय
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जय श्री कृष्ण
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