व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या, बुधवार 23 नवम्बर 2022
विशेष: प्रथम घटा (हरी): आज मेघश्याम घटा (द्वितीय घटा)
- श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं.
- घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में वर्षाऋतु में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
- इनमें कुछ घटाएँ नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ ऐच्छिक है जो खाली दिनों में ली जाती हैं.
- ये द्वादश कुंज इस प्रकार है –
- अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज.
- जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में हरित कुंज के भाव से आज श्रीजी में श्याम घटा होगी.
- साज, वस्त्र, श्रृंगार, मालाजी आदि सभी श्याम रंग के होते हैं.
- कीर्तन भी श्याम घटा की भावना के गाये जाते हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज मेघश्याम दरयाई वस्त्र की पिछवाई धरायी जाती है.
- खण्ड पाट गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर मेघश्याम बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पडघा पर बंटाजी में रखकर ताम्बुल बीड़ा रखे जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज मेघश्याम दरयाई वस्त्र के सुथन, घेरदार वागा, चोली एवं मोजाजी जाते है.
- ठाड़े वस्त्र भी मेघश्याम रंग के ही धराये जायेंगे.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो श्रीजी को आज छोटा कमर तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- गूंजा माला के साथ कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर मेघश्याम गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा मेघश्याम दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्री कंठ में पंचलड़ा व एक हार हमेल की भांति धराया जाता है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज हरे पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में श्याम मीना के वेणुजी एवं वैत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट स्याम व गोटी चाँदी की रखी जाती है.
- सायंकालीन सेवा में परिवर्तन:
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
- आज के दिन विशेष रूप से शयन की आरती सभी बत्तियां बुझा कर की जाती है. आरती की लौ की रौशनी में प्रभु के अद्भुत स्वरुप की अलौकिक छटा वास्तव में अद्वितीय होती है. इसके आलावा हरी घटा के दिन भी ऐसा ही सेवा क्रम रहता है जो दसमी को हो चुकी है. शेष सभी घटाओं में शयन के दर्शन बाहर होते ही नहीं अतः यह आनंद केवल दो घटाओं में ही प्राप्त हो सकता है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्य नियमानुसार मंगल भोग, ग्वाल भोग, राजभोग, शयन भोग आदि भोग अरोगाये जाते है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: आप कदम्ब चढ़ देखता
- राजभोग: ऐ स्यामा स्याम आवत कुंज महल ते
- आरती: गोवर्धन गिर चढ़ टेरी
- शयन: आरी हो स्याम रंग रंगी
- मान: प्यारी सांवरी मुरत तेरे जिय में बसत है
- पोढवे: मदन मोहन श्याम पोढ़े माई
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जय श्री कृष्ण
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