व्रज– मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी, शुक्रवार, 02 दिसंबर 2022
विशेष: प्रभुचरण श्री गुसांईजी के उत्सव की झांझ की बधाई बैठवे की बधाई
- आज से आगामी पंद्रह दिवस तक प्रतिदिन सभी दर्शनों में झांझ बजायी जाती है.
- श्री महाप्रभुजी की, जन्माष्टमी की एवं श्री गुसांईजी की बधाईयाँ गायी जातीं हैं.
- आज से पौष कृष्ण नवमी तक श्री ठाकुरजी को श्याम, नीले, बादली आदि रंगों के वस्त्र नहीं धराये जाते हैं.
- बधाई बैठवे के भाव से आज श्रीजी में लाल घटा के दर्शन होंगे.
- श्रीजी में शीतकाल में द्वादश रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं.
- घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में वर्षाऋतु में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज लाल रंग के दरियाई वस्त्र की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर लाल बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल रंग के दरियाई वस्त्र का सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी लाल रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण माणक के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लाल रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में माणक के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी चांदी की आती है.
- आरसी नित्य वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला से श्रृंगार तक: ब्रज भयो महर के पूत
- राजभोग: धन्य यशोदा भाग्य तिहारो
- आरती: धर्म ही ते पायो यह धन
- शयन: श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे
- मान: लाल तोहे नैनन ही में राखों
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे l
अंग अंग प्रति भावन भूषण वृन्दावन संपति अंगे अंगे ll 1 ll
दरस परस गिरिधर जू की नाई एन मेन व्रज राज ऊछंगे l
पद्मनाभ देखे बनि आवे सुधि रही रास रसाल भ्रू भंगे ll 2 ll
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कीर्तन (राग : आसावरी)
धन्य जशोदा भाग्य तिहारो जिन ऐसो सुत जायो l
जाके दरस परस सुख उपजत कुलको तिमिर नसायो ll 1 ll
विप्र सुजान चारन बंदीजन सबै नंदगृह आये l
नौतन सुभग हरद दूब दधि हरखित सीस बंधाये ll 2 ll
गर्ग निरुप किये सुभ लच्छन अविगत हैं अविनासी l
‘सूरदास’ प्रभुको जस सुनिकें आनंदे व्रजवासी ll 3 ll
जय श्री कृष्ण
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