व्रज– मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी, गुरुवार, 01 दिसंबर 2022
विशेष: आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनेशजी महाराज कृत सात स्वरुप के उत्सव का दिवस है. श्री गोवर्धनेशजी महाराज श्री ने मेवाड़ में सर्वप्रथम वि.सं. 1796 में आज के दिन सप्तस्वरूपोत्सव किया था।
- उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी हल्दी से मांडी जाती हैं एवं आशापाल के पत्तों की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- गेंद, चौगान, दिवाला आदि सोने के आते हैं.
- सभी समय यमुनाजल की झारीजी आती है.
- दिन में दो समय की आरती थाली में की जाती है.
- श्रीजी को नियम के लाल खीनखाब के चाकदार वागा व श्रीमस्तक पर हीरा की कुल्हे धरायी जाती है.
- मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी से मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तक पूर्णिमा को होने वाले घर (नियम) के छप्पनभोग उत्सव के लिए विशेष सामग्रियां सिद्ध की जाती हैं.
- ये विशेष रूप से सिद्ध हो रही सामग्रियां प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगायी जाती हैं.
- इसी श्रृंखला में श्रीजी को आज दहीथड़ा (दही के मोयन युक्त खस्ता ठोड़) का भोग अरोगाया जाता है. यह सामग्री छप्पनभोग के दिवस भी अरोगायी जाएगी.
- इसके अतिरिक्त उत्सव भाव से श्रीजी को आज विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी हांडी में अरोगायी जाती है.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता, सखड़ी में केसरी पेठा व मीठी सेव अरोगायी जाती है.
- श्रीजी में कल तृतीय (लाल) घटा होगी.
- कल मार्गशीर्ष शुक्ल नवमी का क्षय होने से आज से श्री गुसाईजी के उत्सव की बधाई बैठेगी.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज गहरे लाल रंग के मखमल के वस्त्र के ऊपर कांच के टुकड़ों के भरतकाम वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर लाल खीनख़ाब की बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल रंग का सुनहरी ज़री के बूटों वाला खीनख़ाब का सूथन, चाकदार वागा, चोली, एवं टंकमा हीरा के मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- पटका केसरी धराया जाता है.
- गद्दल, रजाई लाल खिनखाब के धराये जाते है.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में श्रीजी को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का उत्सववत भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा के जडाऊ धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हीरा की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी घेरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- हीरा की चोटी (शिखा) धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- कली, कस्तूरी आदि सबकी माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हीरा के वेणुजी एवं दो वैत्रजी (हीरा व पन्ना के) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया आदि उत्सव वत धराये जाते है.
- खेल के साज में पट उत्सव का, गोटी जड़ाऊ आती है.
- आरसी चार झाड की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: यह जुग वेद वचन प्रतिपार्यो
- राजभोग: जे श्री वल्लभ राजकुंवर
- आरती: सातों रूप धरे
- शयन: श्री लक्ष्मण वर ब्रह्म धाम
- मान: श्री वल्लभ नंदन रूप अनूप
- पोढ़वे: रंग महल सुखदाई पोढ़े
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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