बच्चों में जन्मजात विकृतियों की शीघ्र पहचान एवं उपचार के निर्देश
नाथद्वारा (दिव्य शंखनाद)। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में अधिक प्रसव भार वाले चिकित्सा संस्थानो में कार्यरत चिकित्सा अधिकारी एवं लेबर रूम में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ का एक दिवसीय प्रशिक्षण स्वास्थ्य भवन में आयोजित हुआ। प्रशिक्षण में सीएमएचओ डॉ प्रकाश चन्द्र शर्मा ने प्रशिक्षण शुभारंभ सत्र में सभी प्रशिक्षणार्थीयो से मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त करने और उसे अपने चिकित्सा संस्थान पर लागू करने के लिये निर्देशित किया साथ ही किये जाने वाले कार्य की रिपोर्टींग समय पर करने के लिये निर्देशित किया।
आरसीएचओ डॉ. सुरेश मीणा ने जन्मजात विकृतियों के साथ पैदा हुए बच्चो को शीघ्र चिन्हीत कर उच्च स्तर पर रेफर कर उपचार सुनिश्चत करने के लिये निर्देशित किया। उन्होंने बताया की सही समय पर रेफर एवं उचित उपचार से 70 से 80 फिसदी विकृतियों का ईलाज पूर्णतया संभव है। सही समय पर उपचार नही मिलने से विकृतियों के कारण बच्चे का शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास प्रभावित होता है तथा इससे बच्चे का सर्वांगिण विकास रूक जाता है। जिससे ऐसे बच्चो के परिवारो को आर्थिक के साथ अन्य कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है इसलिये हम सभी को अपनी भुमिका के साथ न्याय करते हुए इस कार्य को पूर्ण संवेदनशीलता के साथ करना है।
प्रशिक्षण में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सारांश संबल एवं अतिरिक्त जिला नोडल अधिकारी डॉ. दीपिका दाधीच ने न्यूरल ट्यूट डिफेक्ट, क्लेफ्ट लिप एंड पेलेट(कटा फटा तालू), क्लब फूट, कन्जेनाईटल डिस्प्लेजिया ऑफ हिप, कन्जेनाईटल केटरेक्ट, कन्जेनाईटल हार्ट डिफेक्ट, कन्जेनाईटल डिफनेस, जैसी विभिन्न जन्मजात विकृतियों की पहचान और रेफरल सिस्टम के माध्यम से उपचार के बारें में विस्तार से जानकारी दी।