व्रज – पौष शुक्ल एकादशी, सोमवार, 02 जनवरी 2023
विशेष – आज पुत्रदा एकादशी है. आज श्रीजी में शाकघर का रस-मंडान होता है.
- रस-मंडान के दिन श्रीजी को संध्या-आरती में शाकघर में सिद्ध 108 स्वर्ण व रजत के पात्रों में गन्ने का रस अरोगाया जाता है.
- इस रस की विशेषता है कि इस रस में विशेष रूप से कस्तूरी भी मिलायी जाती है.
- आज प्रभु को संध्या-आरती दर्शन में चून (गेहूं के आटे) का सीरा का डबरा भी अरोगाया जाता है जिसमें गन्ने का रस मिश्रित होता है.
- प्रभु के समक्ष उपरोक्त ‘रसिकनी रसमें रहत गढ़ी’ सुन्दर कीर्तन गाया जाता है.
- श्रीजी दर्शन :-
- साज – आज श्रीजी में शीतकाल की सुन्दर कलात्मक पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- वस्त्र – आज श्रीजी को कत्थाई रंग के साटन के तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार (त्रिकुटी के) वागा धराये जाते हैं. गुलाबी तथा पीले रंग का गाती का त्रिखुना पटका धराया जाता है. रुपहली ज़री के मोजाजी एवं ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं. (चित्र जी में रंग भिन्न हैं)
- श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पन्ना का त्रिखुना टीपारा का साज़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- आज चोटीजी नहीं आती हैं.
- श्रीकंठ में कस्तूरी, कली एवं कमल माला माला धरायी जाती है.
- गुलाब के पुष्पों की एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- पट कत्थाई एवं गोटी बाघ बकरी की आती हैं.
संध्याकालिन सेवा :-
संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर हल्के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक टिपारा का साज बड़ा कर के छज्जेदार पाग धरा कर रुपहली लूम तुर्रा धराये जाते हैं. - श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : जानने लागे श्री लालन
राजभोग : गिर पर पांडे वसंत गोवर्धन - भोग : हरि हो एक रस प्रीत
- आरती : कौन रस गोपीन दीनो घूंट
- शयन : रसिकनी रस में रहते गढ़ी
मान : घरी घरी को रूसवो
पोढवे : रंग महल सुखदाई
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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