व्रज – पौष कृष्ण द्वितीया (प्रथम), रविवार, 08 जनवरी 2023
ऐच्छिक श्रृंगार: आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज वस्त्रों के अनुरूप केसरी रंग की मेघस्याम हाशिया की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को दोहरे वस्त्र धराये जाते है जिनमे केसरी रंग के दरियाई पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन एवं केसरी रंग के दरियाई चोली, चाकदार वागा पर मेघस्याम रंग चाकदार वागा धराये जाते हैं. अर्थात नीचे केसरी व ऊपर मेघश्याम वस्त्र धराये जाते है.
- मोज़ाजी व पटका केसरी रंग के धराये जाते है.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर फेंटा का साज धराया जाता है. जिसमे मेघस्याम रंग के केसरी खिड़की वाले फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मेघस्याम रंग की रेशम की बीच की चंद्रिका, दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती की लोलकबंदी-लड़वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कमल माला धराई जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट केसरी एवं गोटी चाँदी की बाघ बकरी की धरायी जाती हैं.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : पायन परत मुरार
- राजभोग : ठाडो री खिरक माई कौन को
- आरती : कदम्ब चढ़ कान्ह बुलावत गैया
- शयन : डगर चल गोवर्धन की
- मान : चढ़ बढ़ बिडर गई री आली
- पोढवे : श्यारंग महल सुखदाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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