व्रज – वैशाख कृष्ण त्रयोदशी, मंगलवार, 18 अप्रैल 2023
विशेष :- आज से प्रभु श्रीनाथजी को श्रीमहाप्रभुजी के उत्सव पश्चात बाल भाव के श्रृंगार धराये जाते है. श्रीजी के समक्ष कीर्तन भी बाल भाव के ही गाये जाते है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में श्री ठाकुरजी को पलना झुलाते नंद-यशोदा जी, नंदोत्सव एवं छठी पूजन के सुन्दर कलात्मक चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को लाल मलमल की धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है.
- दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरी झाई के अमरसी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल मलमल की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सुनहरी चमक की गोल-चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में जड़ाव कर्णफूल धराये जाते हैं.
- मोती एवं माणक की हमेल धरायी जाती है. श्रीकंठ में हालरा व बघनखा धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ भी हरे मीना के धराये जाते हैं.
- पपट लाल व गोटी चांदी की आती है.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : बल बल चरित्र मुरार
- राजभोग : जब मेरो मोहन चलेगो
- आरती : मेरे छगन मगन खेलो आँगन
- शयन : चलो मेरे लाडले हो पायन
- पोढवे : सोवत नींद आय गई श्याम
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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