व्रज – वैशाख कृष्ण चतुर्दशी, बुधवार, 19 अप्रैल 2023
विशेष :- श्री महाप्रभुजी के उत्सव पश्चात बाललीला के चार श्रृंगार धराये जाते हैं और इन चार दिन सभी समय में बाल-लीला के कीर्तन ही गाये जाते हैं.
- इसी भाव से आज यह श्रृंगार बाललीला के भाव से धराया जा रहा है. मल्लकाछ (मल्ल एवं कच्छ) दो शब्दों से बना है और ये एक विशेष पहनावा है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. सामान्यतया वीर-रस का यह श्रृंगार पराक्रमी प्रभु की चंचलता प्रदर्शित करने की भावना से धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में माखनचोरी लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है जिसमें कृष्ण-बलराम अपने मित्रों के साथ मल्लकाछ-टिपारा का श्रृंगार धराये माखन चोरी कर रहे हैं.
- गादी, तकिया तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को लाल पीली चौफूली चुन्दडी का मल्लकाछ एवं दो पटका धराये जाते हैं.
- दोनों वस्त्र रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम मलमल के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को मध्य का (घुटने तक) मध्यम श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर टिपारा का साज (चुन्दडी की टिपारा की टोपी के ऊपर मध्य में मोरशिखा और दोनों ओर दोहरा कतरा) तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- हांस, त्रवल, पायल आदि धराये जाते हैं. श्रीकंठ में कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी तथा दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ भी हरे मीना के धराये जाते हैं.
- पट लाल व गोटी बाघ बकरी वाली पधराई जाई आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : आज हरी पकरन पाए चोरी
- राजभोग : मोहे बड़ो कर ले री मैय्या
- आरती : महार पूत तेरो कैसे हूँ बरज्यो न माने
- शयन : मोहन माखन चोरी करत फिरत
- पोढवे : नैनन नींद आय गयी श्याम
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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