व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा, शनिवार, 06 मई 2023
विशेष :- आज प्रभु को नियम से बिना किनारी के श्वेत वस्त्र और साज धराये जाते हैं..
- आज ऊष्णकाल में प्रथम बार श्रृंगार में आड़बंद धराया जाता है. आने वाले दिनों में प्रभु को आड़बंद, परधनी, धोती-पटका और पिछोड़ा आदि वस्त्र ही धराये जायेंगे.
- कल नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री दाऊजी महाराज कृत चार स्वरुप के उत्सव का दिवस है और आज राजभोग दर्शन उपरांत कल के उत्सव के प्रभु के वस्त्र रंगे जायेंगे और वस्त्र रंगे जाने के पश्चात उन भीगे वस्त्रों से प्रभु के झड़प (भीगे वस्त्रों से प्रभु के सम्मुख पंखा करना) होता हैं.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज श्वेत रंग की मलमल की बिना किनारी की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया तथा चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को श्वेत मलमल का बिना किनारी का आड़बंद धराया जाता है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग के श्याम झाईं वाले फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख के दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- पीठिका के ऊपर गुलाबी पुष्पों की मोटी माला धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमनी अर्थात स्वर्ण व रजत के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ भी हरे मीना के धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बड़ी हकीक की पधराये जाते है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : अधम उधारनी में जानी
- राजभोग : चन्दन की खोर किये
- आरती : बैठे घनश्याम सुन्दर
- शयन : धीर समीरे यमुना तीरे
- मान : उठ चल देख राधिका प्यारी
- पोढवे : नवल किशोर नवल नागरी
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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