व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण षष्ठी, गुरूवार, 11 मई 2023
विशेष :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. उत्थापन दर्शन पश्चात मोगरे की कली का श्रृंगार का मनोरथ है.
- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज गुलाबी मलमल की, रुपहली ज़री की किनारी के पतले हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया तथा चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को गुलाबी मलमल का बिना किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का उष्णकाल का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की ग्वाल पगा के ऊपर सिरपैंच, पगा चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलक बंदी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- वहीँ एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमुनी वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बाघ-बकरी की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : पतित पावन करे
- राजभोग : बन बन में बनवारी
- फूल के श्रृंगार : फूल के भवन गिरिधर नवल
- आरती : दरस जाय देरी जाके दरस को
- शयन : पायन चन्दन लगाऊं
- मान : मान नी मान मेरो कह्यो
- पोढवे : रावटी सुख सेज पोढ़े
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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