व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी, शुक्रवार, 12 मई 2023
विशेष :- आज पद भाव के श्रृंगार धराये जाते है. मंगला दर्शन पश्चात प्रभु के अभ्यंग स्नान होते है.
- सोहत श्याम मनोहर गात l
- श्वेत परदनी अति रसभीनी केसर पगिया माथ ll 1 ll
- कर्णफूल प्रतिबिंब कपोलन अंग अंग मन्मथ ही लजात l
- ‘परमानंद’ दास को ठाकुर निरख वदन मुसकात ll 2 ll
- अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं. अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.
- जिस दिन अभ्यंग और शीतल स्नान हो उस दिन शयनभोग की सखड़ी में विशेष रूप से विविध प्रकार के मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि अरोगाये जाते हैं.
- ऊष्णकाल में नियम के चार अभ्यंग होते हैं.
- आज शयन भोग में प्रियाजी से पतला नेग प्रभु को अरोगाने के लिए आता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज कमल के चितराम की बिना किनारी की पिछवाई धराई जाती है. पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया तथा चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को श्वेत रंग की मलमल की गोल छोर वाली बिना किनारी की परदनी धराई जाती है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का उष्णकाल का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- वहीँ एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरिया वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बाघ-बकरी की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : मेरे कुल कलिमल सब ही नासे
- राजभोग : बन बन में बनवारी
- आरती : सांझ समे प्यारे लाल आवत
- शयन : मिल पिय सांकरी गली
- मान : आपुन चलिए जू लालन
- पोढवे : पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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