व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी, रविवार, 28 मई 2023
विशेष :- सायंकाल शीतल जल स्नान एवं कली के श्रृंगार होंगे, विशेष सामग्री अरोगायी जायेगी. आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- आज सायंकाल उत्त्थापन पश्चात् कली के आभरन धराए जायेंगे
ये श्रृंगार प्रातः धराये गए वस्त्र एवं श्रृंगार के जैसे ही मोगरे की कलियों से बने होते है.
ये श्रृंगार ब्रजवासियो एवं गोपियों द्वारा वन में प्रभु को किये गए फूलों के श्रृंगार के भाव से किये जाते है.
विशेष सामग्री में मीठा रोटी, दहीभात आदि अरोगाये जाते है. - उष्णकाल का द्वितीय शीतल जल स्नान होता है.
- ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह सातो स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं. अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं. शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है. और विशेष सामग्रियां अरोगाई जाती है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज वस्त्र की स्नान के भाव की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया तथा चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को शरबती रंग की मलमल की परदनी धराई जाती है. जो गोल किनार से सुसज्जित होती है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) छेडान का ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर शरबती रंग की छज्जेदार पाग धराई जाती है. सिरपैंच, तुर्रा, लूम एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्वेत पुष्पों की एक व एक कमलाकार माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और हकीक की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : शरण प्रतिपाल गोपाल रति वर्धिनी
- राजभोग : सुन री आली दुपहरी की बिरियाँ
- आरती : नैन कमल दल फूले
- शयन : बैठे ब्रजराज कुंवर प्यारी संग
- मान : हरि बोलत चल गोकुल नारी
- पोढवे : नवल किशोर नवल नागरी
- स्नान : बन ते आवत चारे धेन
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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