व्रज – पौष कृष्ण द्वादशी, सोमवार, 08 जनवरी 2024
आज की विशेषता :- आज श्री प्रियाजी की शीतकाल की तृतीय चौकी
- हम जानते है कि मार्गशीर्ष एवं पौष मास में जिस प्रकार सखड़ी के चार मंगलभोग होते हैं उसी प्रकार पांच द्वादशियों को पांच चौकी (दो द्वादशी मार्गशीर्ष की, दो द्वादशी पौष की एवं माघ शुक्ल चतुर्थी सहित) श्रीजी को अरोगायी जाती है.
- इन पाँचों चौकी में श्रीजी को प्रत्येक द्वादशी के दिन मंगला समय क्रमशः तवापूड़ी, खीरवड़ा, खरमंडा, मांडा एवं गुड़कल अरोगायी जाती है.
- यह सामग्री प्रभु श्रीकृष्ण के ननिहाल से अर्थात यशोदाजी के पीहर से आती है.
- श्रीजी में इस भाव से चौकी की सामग्री श्री नवनीतप्रियाजी के घर से सिद्ध हो कर आती है, अनसखड़ी में अरोगायी जाती है परन्तु सखड़ी में वितरित की जाती है.
- इन सामग्रियों को चौकी की सामग्री इसलिए कहा जाता है क्योंकि श्री ठाकुरजी को यह सामग्री एक विशिष्ट लकड़ी की चौकी पर रख कर अरोगायी जाती है.
- उस चौकी का उपयोग श्रीजी में वर्ष में उन किया जाता है जब-जब श्री ठाकुरजी के ननिहाल के सदस्य आमंत्रित किये जायें. इन चौकी के अलावा यह चौकी श्री ठाकुरजी के मुंडन के दिवस अर्थात अक्षय-तृतीया को भी धरी जाती है.
- आज तृतीय चौकी में श्रीजी को मंगलभोग व ग्वाल भोग में खरमंडा एवं मंगोंडा की छाछ और कच्चा संधाना आदि अरोगाये जाते हैं. श्रीजी प्रभु को खरमंडा आज के अतिरिक्त घर के छप्पनभोग में और फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (श्रीजी के पाटोत्सव) के दिन भी अरोगाये जाते हैं.
- श्रृंगार से राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में कुछ जल्दी होता है.
- आज श्रीजी धराये जाने वाले वस्त्र श्रृंगार निश्चित हैं.
- आज से विशेष रूप से ललित राग के कीर्तन भी प्रारंभ हो जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज हरे रंग की किनखाब की पिछवाई सजाई जाती है जो कि सुनहरी ज़री के केरी भांत के भरतकाम एवं रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा के तहत ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को हरे रंग की खींनखाब का सूथन, चाकदार वागा, चोली, एवं जड़ाऊ मोजाजी धराये जाते हैं.
- पटका लाल व ठाड़े वस्त्र भी लाल रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में श्रीजी को आज वनमाला का चरणारविन्द तक हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा मोती के धराये जाते हैं.
- कली, कस्तूरी आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
- हीरा की बघ्घी धरायी जाती है और हांस, त्रवल नहीं धराये जाते.
- श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमे पन्ना, माणक के टिपारा के ऊपर सिरपैंच, मोरचन्द्रिका, दोनों ओर मोरपंख के दोहरा कतरा सुनहरे फोन्दना का साज एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में विट्ठलेशरायजी वाले वेणुजी एवं वेत्रजी व एक सोने के धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि उत्सववत धराये जाते है.
- खेल के साज में पट हरा का, गोटी सोने की बाघ-बकरी की आती है.
- आरसी प्रभु को पीले खण्ड की राजभोग में सोने की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज दिनभर उत्सव की बधाई एवं ढाढ़ी के कीर्तन गाये जाते हैं.
- मंगला : मोहन सो मन मान्यो मेरो
- राजभोग : दोऊ भई रंग निर्तत
- आरती : अग्र तक तक द्रुम द्रुम
- शयन : जीय की न जानत हो पिय
- मान : झमक झमक चल राधे
- पोढवे : रंग महल सुखदाई
- संध्याकालीन सेवा :-
- संध्या-आरती दर्शन उपरान्त श्रीमस्तक से टिपारा बड़ा कर लाल छज्जेदार पाग के ऊपर सुनहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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