व्रज – भाद्रपद कृष्ण एकादशी, गुरुवार, 29 अगस्त 2024
आज की विशेषता :- जनमाष्टमी के उपरांत आज से पुनः सभी साज पर सफेदी चढ़े. टेरा, चौरसा आदि सभी नित्य के आ जाते हैं.
- आज से अमावस्या तक प्रभु को बाल-लीला के श्रृंगार धराये जाते हैं एवं बाल-लीला के ही पद गाये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज नन्दभवन में बधाई देने एवं दर्शन करने को आये व्रजभक्तों की भीड़ एवं दूसरी ओर छठी पूजन और लालन को पलना झुलाते नंदबाबा और यशोदाजी के सुन्दर चित्रांकन वाली पिछवाई आज श्रीजी के पार्श्व भाग में सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी, पड़घा, बंटाजी आदि जड़ाव स्वर्ण के धरे जाते हैं.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- आज लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा (छठी उत्सव वाला) धराया जाता है.
- जिसके साथ केसरी रंग का गाती का पटका (जन्माष्टमी वाला) धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र सुवापंखी हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा (कमर तक का) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची,हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती तथा सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, पन्ना की गोटी, रुपहली लूम की किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- हालरा, बघनखा और हमेल धराये जाते हैं.
- पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर कलात्मक मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी और एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी चांदी की आती है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : बल बल चरित्र गोकुल राय
- श्रृंगार : जा दिन कन्हैया मो सो
- राजभोग : जब मेरो मोहन चलेगो घुटरवन
- आरती : चलो मेरे लाडिले हो
- शयन : आछी निकी सोहत हंसन
- भोग सेवा दर्शन :
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण।
जय श्री कृष्ण
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