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Home नाथद्वारा

सनातन में हनुमान जयंती की भावना

Divyashankhnaad by Divyashankhnaad
11/04/2025
in नाथद्वारा, राजस्थान
0
सनातन में हनुमान जयंती की भावना
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कलयुग के भगवन हैं हनुमान

नाथद्वारा| धर्म शास्त्रों में सात चिरंजीवियों का जिक्र किया जाता है। उनमें अश्वत्थामा, बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम हैं। मान्यता है कि ये अमर आत्माएं हैं, जो आज भी पृथ्वी पर हमारे बीच मौजूद हैं। वहीं कलयुग में इन सात चिरंजीवियों में महाबली हनुमान की साधना सबसे अधिक की जाती है।
हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जयंती मनाई जाती है।

हनुमान जी का जन्म वानर राज केसरी और उनकी पत्नी अंजना के घर में हुआ था। हिन्दू धर्मग्रंथों में हनुमान जी के जन्म से सम्बंधित एक पौराणिक कथा वर्णित है।
अमरत्व की प्राप्ति के लिए जब देवताओं व असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे।
उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहनी रूप देख देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिवजी कामातुर हो गए। इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया।जिसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से केसरी नंदन मारुती संकट मोचन रामभक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ। 
एक और कथा के अनुसार हनुमान जी की माता अंजनी और पिता वानर राज केसरी ने महान तप किया था। जिससे प्रसन्न होकर वायु देव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। जिससे हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जी के पांच भाई थे। 1. मतिमान 2. श्रुतिमान 3. केतुमान 4. गतिमान  5. धृतिमान

हिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक, भगवान हनुमान भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं। सभी देवी-देवताओं में मात्र वायुपुत्र हनुमान ही ऐसे देवता माने गए है जो कलयुग में भी सशरीर धरती पर मौजूद है। यही वजह है कि हनुमान जी सदैव अपने भक्तों की सहायता करते है. प्रभु श्री हनुमान का मात्र नाम लेने से ही बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं। हनुमान जन्मोत्सव के दिन श्रद्धाभाव से संकटमोचन की पूजा-अर्चना करने के भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

हनुमान जी को संकट मोचन, अंजनी सूत, पवन पुत्र, आंजनेय और केसरीनंदन आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी स्वेच्छा से किसी भी रूप को धारण करने में सक्षम हैं। महाबली हनुमान की पूजा करते समय हमेशा ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना आवश्यक होता है। हनुमान जयंती पर हनुमान जी की पूजा के साथ-साथ भक्तों को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, रामायण और राम रक्षा स्त्रोत आदि का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी अखण्ड ब्रह्मचारी और महायोगी हैं, इसलिए सबसे जरूरी बात ये है कि उनकी किसी भी तरह की पूजा में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं। हिंदू धर्म के अनुसार हनुमानजी की उपासना का सबसे शुभ दिन मंगलवार और शनिवार का दिन का होता है। ऐसे में विशेष कृपा पाने के लिए हनुमान जयंती के अलावा आपको हर मंगलवार और शनिवार को भी उनकी पूजा और उपासना करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से मनुष्य को भय, ग्रह दोष और संकटों से मुक्ति मिलती है।
आप भी घर में सकारात्मक ऊर्जा चाहते हैं और जीवन के संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो हनुमान जी से पहले उनके गुरु सूर्य नारायण की पूजा करें। शिष्य से पहले गुरु की पूजा करने से केसरी नंदन जल्दी प्रसन्न होंगे, आपके सभी अधूरे काम पूरे होंगे। भूत-पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे’ हनुमान जी का नाम लेने से ही सभी तरह के कष्ट मिट जाते हैं।

हनुमान जी की उपासना में चरणामृत का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। बजरंगबली की पूजा को सफल बनाने के लिए किसी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा हनुमान जयंती के दिन भूल से भी मांस-मदिरा का सेवन न करें। स्त्रियों को हनुमान जी पूजा के दौरान उनकी मूर्ति या प्रतिमा को हाथ नहीं लगाना चाहिए। 4. ऐसा इसलिए है कि राम भक्त हनुमान स्त्रियों को माता स्वरूप मानते हैं। ऐसे में कोई महिला उनके चरणों के सामने झुके, ये बात उन्हें पसंद नहीं। भगवान राम की प्रति उनकी अखंड भक्ति और अपार शक्ति के लिए जाने वाले हनुमान साहस, निस्वार्थ सेवा और भक्ति के प्रतीक हैं। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी को माता सीता से अष्ट सिद्धि और नव निधि का आशीर्वाद मिला था। त्रेता युग की समाप्ति के बाद इस धरती पर हनुमान ही ऐसे भगवान है जिन्हें कलयुग के भगवान के रुप में जाना जाता है। इस कलयुग में हनुमान की पूजा करने से जातक को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।

पंचमुखी हनुमान
अहिरावण के घातक हमले से खुद को बचाने के लिए हनुमान ने पंचमुखी का रूप धारण किया। हनुमानजी के पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर, दूसरा गरूड़, तीसरा वराह, चौथा अश्व और पांचवां नृसिंह का मुख है। पंचमुखी रूप द्वारा हनुमान जी अपने भक्तो के सभी दुखों को दूर करते हैं और हर मुख का अपना अलग महत्व है। पहले वानर मुख से सारे दुश्मनों पर विजय मिलती है। दूसरे गरुड़ मुख से सारी परेशानियां दूर होती हैं। तीसरे उत्तर दिशा के वराह मुख से प्रसिद्धि ,शक्ति और लंबी आयु मिलती है। चौथे नृसिंह मुख से मुश्किलें, तनाव और डर दूर होते हैं। पांचवें अश्व मुख से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जो भी मंगलवार और शनिवार के दिन सुंदर कांड का पाठ करता है, उसमें सभी प्रकार की परीशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
हनुमान चालीसा और सुंदरकाठ के नियमित पाठ करने से व्यक्ति का आदर्श बढ़ जाता है।

दुनिया चले ना श्री राम के बिना,
राम जी चले ना हनुमान के बिना ॥

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